
नई दिल्ली। चंद्रयान-2 को लेकर एक ऐसी खबर सामने आई है जो हर किसी के लिए काफी महत्वपूर्ण है। दरअसल लैंडर विक्रम से संपर्क बनाए रखने के लिए लगातार कोशिश की जा रही है। खास बात यह है कि इस कोशिश में देश के साथ-साथ विदेश से भी मदद की जा रही है।
अब इस अभियान में दुनिया का सबसे बड़ा स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन नासा ( NASA ) भी जुट गया है। लेकिन सबके बीच जो खबर आ रही है काफी गंभीर है।
दरअसल ISRO मिशन मून की बजाय इन दिनों लैंडर विक्रम से संपर्क करने की कोशिश में जुटा हुआ है।
ऐसे में सबसे बड़ी बाधा बन रही है लूनर नाइट।
जी हां लैंडर विक्रम को खोजने के लिए ISRO ने एक डेड लाइन ( अंतिम तिथि) तय की है। इसके पूरा होते ही ये मिशन रुक जाएगा। हालांकि इसरो को कुछ ऐसे संकेत भी मिल रहे हैं जो जल्द संपर्क कर सकते हैं।
मिशन चंद्रयान-2 को कामयाब बनाने में इसरो जी जान से जुटा हुआ है। इसरो लगातार लैंडर विक्रम से संपर्क साधने की कोशिश कर रहा है।
हालांकि अब तक लैंडर विक्रम से संपर्क नहीं हो पाया है। लैंडर विक्रम से संपर्क करने की संभावनाओं को उस वक्त और बल मिला जब यह पता चला कि लैंडर विक्रम मून सर्फेस पर मौजूद है।
खास बता यह है कि इसकी लोकेशन मिलने के साथ-साथ इसकी पोजिशन भी पता चल गई है। वैज्ञानिकों की कोशिश है कि अन्य ऑर्बिटर की हार्ड लैंडिग करवा कर विक्रम के एंटिना को सीधा करने की कोशिश की जा रही है।
लेकिन इस पूरे मिशन के लिए ISRO के पास वक्त काफी कम बचा है। क्योंकि लूनर नाइट करीब आ रही है।
इसके आते ही इस मिशन का काम रुक जाएगा। दरअसल अभी चांद पर लूनर डे चल रहा है। यानी वहां फिलहाल दिन निकला हुआ है।
चांद का एक दिन धरती के 14 दिन के बराबर होता है। यही वजह था कि इसरो चीफ ने लैंडर को खोजने के लिए 14 दिन का वक्त तय किया था।
लूनर नाइट के आते ही चंद्रमा पर हालात बदल जाएंगे। इसके बाद लैंडर विक्रम को खोजने की सभी कोशिशें व्यर्थ हो जाएंगी। यही वजह है कि वैज्ञानिक लगातार लैंडर विक्रम से संपर्क साधने में जुटे हैं।
इसके लिए हर तरह की मुमकिन कोशिश भी की जा रही है।
नासा की जेट प्रॉपलशन लैबोरेट्री ने लैंडर विक्रम से संपर्क साधने के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी भेजी है। डीप स्पेस नेटवर्क के जरिए नासा इस काम को अंजाम दे रहा है।
Updated on:
12 Sept 2019 05:28 pm
Published on:
12 Sept 2019 04:44 pm
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