
Chandrayaan-3
नई दिल्ली। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) के महात्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-3 को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। बीते वर्ष 7 सितंबर की रात चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग के दौरान चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का सतह से तकरीबन दो किलोमीटर पहले संपर्क टूट गया था और इसने हार्ड लैंडिंग की थी। इसके बाद इसरो अपने अगले मिशन को बेहतर बनाने में जुट गया। अब बुधवार को केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग को लेकर जानकारी दी है।
दरअसल लोकसभा में बुधवार को केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस संबंध में एक लिखित जवाब दाखिल किया। केंद्रीय मंत्री ने जानकारी दी कि इसरो के चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग अगले वर्ष यानी 2021 की पहली छमाही में तय है। केंद्रीय मंत्री की इस जानकारी का मतलब है कि इसरो इस वक्त तेजी से अपने अगले महत्वपूर्ण मिशन लॉन्च करने में लगा हुआ है।
पहले नवंबर 2020 थी डेडलाइन
सूत्रों के मुताबिक इसरो के चंद्रयान-3 मिशन की डेडलाइन पहले नवंबर 2020 रखी गई थी। चंद्रयान-3 में इसरो केवल लैंडर और रोवर को ही लेकर जाएगा क्योंकि चंद्रयान-2 ऑर्बिटर बिल्कुल सही ढंग से काम कर रहा है और यह आगे भी काम करता रहेगा।
नवंबर 2019 में हुई थी बैठक
बीते वर्ष नवंबर में चंद्रयान-3 के निर्माण और इसमें इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों को लेकर एक समिति ने बैठक की थी। इस कमेटी ने चंद्रयान-3 के प्रपलसन, सेंसर, ओवरऑल इंजीनियरिंग, नेविगेशन और गाइडेंस सिस्टम को लेकर दी गई तमाम सब-कमेटी के प्रस्तावों को देखा था।
तेजी से काम जारी
नवंबर में इस संबंध में इसरो के एक वैज्ञानिक ने बताया था कि काम तेजी से जारी है। अब तक इसरो इस मिशन के 10 विशिष्ट पहलुओं को देख चुका है। इनमें चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग साइट का चयन, बिल्कुल सटीक नेविगेशन और स्थानीय नेविगेशन शामिल है। सूत्रों द्वारा इस संबंध में बीते 5 अक्टूबर के एक ऑफिस ऑर्डर का हवाला दिया गया।
लैंडर की टांगों की मजबूती पर जोर
एक अन्य वैज्ञानिक ने बताया था कि इस नए मिशन की पहली प्राथमिकता है कि 'लैंडर की टांगों को मजबूत बनाया जाए,' ताकि बेहद तेज वेग के बावजूद यह सही ढंग से लैंडिंग कर सके। सूत्रों का कहना है कि इसरो इसके लिए एक नया लैंडर और रोवर बना रहा है। हालांकि अभी तक लैंडर पर पेलोड की अंतिम संख्या के बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया है।
गगनयान मिशन भी लाइन में
ना केवल चंद्रयान बल्कि इसरो इंसानों को ले जाने वाले भारत के पहले गगनयान मिशन के लिए जुटा हुआ है। दिसंबर 2021 में लॉन्च किए जाने वाले इस गगनयान मिशन की लागत तकरीबन 10 हजार करोड़ रुपये आएगी। भारत के पहले अंतरिक्ष मानव मिशन 'गगनयान' को 28 दिसंबर 2018 केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिली थी।
लाल किले से पीएम मोदी ने किया था ऐलान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 अगस्त 2018 को लाल किले से घोषणा की थी कि वर्ष 2022 तक इसरो देश के पहले मानव मिशन को अंजाम देगा। पीएम ने अपने संबोधन में कहा था कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में हमारा और हमारे वैज्ञानिकों का एक सपना है और मुझे यह घोषणा करने में प्रसन्नता हो रही है कि वर्ष 2022 तक 75वें स्वतंत्रता साल पर हम अंतरिक्ष में एक मानव मिशन भेजने की योजना बना रहे हैं। पीएम ने कहा कि हम वर्ष 2022 या उससे पहले अंतरिक्ष में भारतीय को पहुंचाएंगे। इसरो इस परियोजना पर वर्ष 2004 से ही काम कर रहा है।
इसरो चीफ ने किया है वादा
ISRO चीफ के सिवन ने बीते वर्ष आईआईटी दिल्ली के 50वें दीक्षांत समारोह में कहा था कि इसरो चंद्रमा पर लैंडिंग का एक और प्रयास करेगा। इसरो इस बात के प्रदर्शन को लेकर दृढ़निश्चय है कि वो चंद्रमा पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' कर सकता है। इसके लिए इसरो वह कार्य योजना बनाने में लगा है कि कैसे चंद्रमा पर लैंडिंग का प्रयास किया जाए।
इसरो ने विक्रम के चंद्रमा पर लैंडिंग के प्रयास को लेकर काफी मात्रा में आंकड़े (डाटा) जुटा लिए हैं ताकि चीजों को सही ढंग से किया जा सके।
सिवन ने आगे कहा, "चीजों को बिल्कुल सही करने के लिए काफी अहम डाटा उपलब्ध है। मैं यह आश्वस्त करना चाहूंगा कि चीजों को सही करने के लिए इसरो अपना पूरा अनुभव, ज्ञान और तकनीकी कौशल लगा देगा और निकट भविष्य में सॉफ्ट लैंडिंग करके दिखाएगा।"
Updated on:
04 Mar 2020 08:25 pm
Published on:
04 Mar 2020 08:17 pm
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