
नई दिल्ली। लैंडर विक्रम से संपर्क को लेकर जल्द अच्छी खबर आ सकती है। कल से चांद पर सुबह होने वाली है। इसके साथ ही एक बार फिर शुरू हो जाएगी कि लैंडर से संपर्क की कोशिश। दरअसल विक्रम लैंडर को खोजने के लिए सिर्फ ISRO ही नहीं बल्कि दुनिया की अन्य स्पेस एजेंसियां भी जुटी हैं।
अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा खुद अपने ऑर्बिटर चांद के उस हिस्से में भेज चुका है जहां लैंडर विक्रम से संपर्क टूटा था।
हालांकि नासा की दो बार की कोशिश फिलहाल उतनी कामयाबी नहीं मिली जितनी उम्मीद जताई जा रही थी। क्योंकि चांद पर काली अंधेरी रात के कारण उस जगह की तस्वीरें साफ नहीं आ पाई थीं। अब एक बार फिर सुबह होने वाली है और इसरो समेत नासा भी अपनी कोशिश शुरू करेगा।
खगोलविद स्कॉट टायली ने भी ट्वीट कर विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित होने की प्रबल संभावना जताई है।
टायली के मुताबिक लैंडर विक्रम को ढूंढना जरूर सफलता मिलेगी हालांकि उन्होंने ये भी कहा है कि लैंडर विक्रम को ढूंढना और उससे संपर्क करना दोनों अलग-अलग बातें हैं।
ऐसे में ये कहना बहुत मुश्किल है कि लैंडर विक्रम से संपर्क हो ही जाएगा।
जिस तरह के चांद पर हालात बने हैं उससे तो यही लगता है कि लैंडर विक्रम की स्थिति संपर्क जैसी नहीं रहेगी।
उधर..इसरो को उम्मीद है कि चांद पर रोशनी आने के बाद उनकी प्लान बीज जरूर काम करेगा, जिसके तहत वे लैंडर विक्रम से संपर्क करने में सफलता हासिल कर सकते हैं। इसरो चीफ के सिवन पहले ही साफ कर चुके हैं कि हमने अभी उम्मीद नहीं छोड़ी है। रोशनी आने के बाद बहुत सी स्थितियां साफ हो जाएंगी।
आपको बता दें कि इन दिनों इसरो में विशेषज्ञों की टीम उन तस्वीरों का अध्ययन कर रही है जो ऑर्बिटर से मिली हैं। वहीं नासा की तस्वीरों में भी कुछ कुछ जगह लैंडर विक्रम की उपस्थिति दिखाई दी थी।
कुछ तो इसरो ने भी सोचा होगा
दरअसल जब चांद पर रात होने लगी थी तब दुनिया की कुछ स्पेस एजेंसियों खास तौर पर चीन ने इसरो पर सवाल उठाए थे कि उन्होंने रात और ठंड के मुताबिक लैंडर विक्रम में ऐसे यंत्र क्यों नहीं लगाए जो इसका सामना कर सकें।
क्या इतना बड़ा खर्च इसरो ने सिर्फ 14 दिन के लिए ही किया था।
हालांकि इसरो ने इतने बड़े अभियान के लिए कुछ तो सोचा होगा कि जब चांद पर रात होगी तो लैंडर विक्रम किस तरह वहां की स्थिति के मुताबिक जीवित रहेगा।
सौलर पैनल शुरू करेगा अपना काम
यही वजह है कि इसरो को अपनी तकनीक पर भरोसा है और वो रोशनी शुरू होते ही लैंडर विक्रम पर लगा सौलर पैनल अपना काम शुरू कर देगा।
ऐसा होता है कि तो इसरो के पास इसके संकेत मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।
उधर नासा भी लैंडर विक्रम पर रेडियो फ्रिक्वेंसी लगातार भेज रहा है माना जा रहा है रोशनी के आते ही सौलर पैनल एक्टिव होगा और इसके बाद रेडियो फ्रिक्वेंसी का जवाब भी मिलने की उम्मीद है।
Updated on:
04 Oct 2019 02:04 pm
Published on:
04 Oct 2019 01:11 pm
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