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अंडमान-निकोबार के छह द्वीपों पर बंद हो सकती है आम लोगों की एंट्री, SC-ST आयोग ने केंद्र को लिखा खत

अंडमान-निकोबार के उन छह द्वीपों पर आम आदमी का जाना प्रतिबंधित हो सकता है, जहां आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं।

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Andaman Nicobar

अंडमान-निकोबार के छह द्वीपों पर बंद हो सकती है आम लोगो की एंट्री, ST-ST आयोग ने केंद्र को लिखा खत

नई दिल्ली। विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके आदिवासियों के बचाने के लिए राष्ट्रीय जनजाति आयोग ने बड़ा कदम उठाया है। आयोग ने केंद्र सरकार से अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के आदिवासी बहुल छह द्वीपों को फिर से ‘प्रतिबंधित क्षेत्र’ घोषित करने की मांग की है। इसके साथ ही द्वीप को हवाई मुक्त क्षेत्र घोषित करने की भी सलाह दी है।

छह द्वीपों को प्रतिबंधित करने की मांग

केंद्रीय सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंद कुमार साय ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को खत लिखा है। जिसमें अंडमान निकोबार द्वीप समूह के छह द्वीपों को फिर से प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित करने की अपील की गई है। छह द्वीपों स्ट्रेट द्वीप, मध्य और दक्षिण अंडमान, उत्तरी सेंटिनल, छोटा अंडमान, ग्रेट अंडमान और वाइपर द्वीपों में अंडमानी, जारवा, सेंटिनल, ओंगे और सोमपेन आदिवासी समुदाय रहते हैं।

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सितंबर में 29 द्वीपों से सरकार ने हटाया था प्रतिबंध

जनजाति आयोग ने कहा कि सितंबर 2018 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह के 29 द्वीपों को ‘प्रतिबंधित क्षेत्र’ से मुक्त कर दिया था। हालांकि उस समय भी जनजाति आयोग ने इस फैसले पर आपत्ति जताई थी। गृह मंत्रालय ने प्रावधानों में बदलाव करते हुए विदेशियों के लिए इन द्वीपों की यात्रा करने के लिये अनुमति लेने का नियम समाप्त कर दिया है। आयोग का कहना है कि गृह मंत्रालय का यह कदम संविधान के अनुच्छेद 338 ए (9) की भावना के अनुरुप नहीं है। इस अनुच्छेद के अनुसार केंद्र और राज्य सरकारों को जनजातियों के संबंध में नीतिगत फैसले करने से पहले जनजाति आयोग से सलाह मशविरा करना चाहिए।

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आयोग ने हाल में सेंटिनल द्वीप की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि द्वीप को हवाई मुक्त क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए। सभी प्रमुख स्थानों हवाई अड्डों, बंदरगाहों और पर्यटन स्थलों पर प्रतिबंधित क्षेत्रों के संबंध में पोस्टर लगाने चाहिए। सभी द्वीपों की निगरानी व्यवस्था मजबूत की जानी चाहिए।