
Bombay high court
मुम्बई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि यदि लड़की शिक्षित है और शारीरिक संबंध बनाते समय ना नहीं कहती है तो वह बाद में रेप का आरोप नहीं लगा सकती है। कोर्ट ने कहा कि हालांकि समाज में अभी भी शारीरिक संबंधों को लेकर वर्जनाएं हैं। लेकिन अगर महिला शारीरिक संबंधों को ना नहीं कहती है तो इसे सहमति का संबंध माना जाएगा। जज मृदुला भटकर ने एक युवक की गिरफ्तारी पूर्व जमानत याचिका स्वीकार करते हुए यह टिप्पणी की।
याचिकाकर्ता ने बताया कि वह गोरेगांव की लड़की के साथ एक साल तक रिलेशन में रहा। इस दौरान शारीरिक संबंध भी बन गए। लड़के ने शादी का वादा भी किया। हालांकि सालभर बाद दोनों में अलगाव हो गया। अलगाव के बाद लड़की ने लड़के पर रेप का आरोप लगा दिया और एफआईआर दर्ज करा दी।
लड़की ने आरोप लगाया कि युवक उसे शहर की कई होटलों में ले जाता। शादी का वादा कर उसके साथ जबरदस्ती संबंध बनाता। इस दौरान वह प्रेगनेंट भी हो गई लेकिन युवक ने अबॉर्शन करा दिया। उसने साथ ही कहा कि वह युवक की आर्थिक मदद भी करती थी। गिरफ्तारी के डर से युवक ने कोर्ट की शरण ली। लड़की की वकील ने जमानत का विरोध किया जिसे जज ने अस्वीकार कर दिया।जज भटकर ने कहा कि इसे रेप नहीं माना जा सकता। आप पढी-लिखी हैं और आपके पास ना कहने का अधिकार है। लेकिन आपने उस समय ना नहीं कहा तो अब इसे सहमति माना जाएगा। जब महिला शिक्षित और समझदार होती है तो वह ना कह सकती है। हालांकि जज ने युवक को लड़की के परिवार को फोन करने या धमकाने को लेकर चेताया है।
Published on:
11 Mar 2016 05:21 pm
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