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Covishield और Covaxin लगवाने के नियमों में अंतर, जानिए सिर्फ कोवैक्सीन के साथ ही क्यों भरना पड़ता है कंसेंट फॉर्म

Corona महामारी से जंग के लिए जारी है देशभर में टीकाकरण अभियान कोविशील्ड और कोवैक्सीन लगवाने के नियमों में है थोड़ा अंतर सिर्फ 'कोवैक्सीन' के साथ भरना होता है कंसेंट फॉर्म

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Dheeraj Sharma

Jan 20, 2021

Corona Vaccination

कोरोना के खिलाफ टीकाकरण

नई दिल्ली। कोरोना वायरस ( Coronavirus ) महामारी को मात देने के लिए देशभर में वैक्सीनेशन का दौर शुरू हो चुका है। देश के पास इस महामारी से लड़ने के लिए दो महत्वपूर्ण हथियार कोविशील्ड ( Covishield ) और कोवैक्सीन ( Covaxin ) के रूप में मौजूद हैं। दोनों ही टीके लोगों को लगाना शुरू कर दिए गए हैं।

महामारी के खिलाफ पिछले चार दिनों से टीकाकरण चल रहा है। टीका लगाने के लिए दोनों वैक्सीनों के नियमों में थोड़ा अंतर है। भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ लेने से पहले कंसेंट फॉर्म भरना पड़ता है लेकिन सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ के लिए ये फॉर्म नहीं भरना पड़ता है।

आईए जानते हैं दोनों वैक्सीनों को इमरजेंसी इस्तेमाल की एक साथ मंजूरी देने के बाद भी नियमों अंतर क्यों है।

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देशभर में कोरोना के खिलाफ सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान लगातार आगे बढ़ रहा है। हालांकि इस टीकाकरण के दौरान दोनों वैक्सीनों को लगाने के लिए नियमों में थोड़ा अंतर है।

भारत बायोटेक की वैक्सीन को क्लीनिकल ट्रायल मोड में इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी गई है। इसमें वैक्सीनशन के दौरान टीका लेने वाले को तीन डॉक्यूमेंट दिए और समझाए जाते हैं।

1. इस फॉर्म में वैक्सीन के बारे में जानकारी किसे देनी है, किसे नही ये भरना होता है।
2. कंसेंट फॉर्म यानी समझने के बाद सहमति देना
3. एडवर्स इवेंट फॉर्म अगले 7 दिन तक की जानकारी

आपको बता दें कि पहले दो फॉर्म के बारे में वैक्सीन लेने वाले को पढ़कर समझाया जाता है और समझने के बाद उससे सहमति ली जाती है, जिसके बाद उसे वैक्सीन दी जाती है।

वहीं तीसरा फॉर्म वैक्सीन लेने वाले को अगले सात दिनों तक खुद भरना होता है। इसमें वो अपने स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियां भरते हैं।

वैक्सीन मिलने के बाद इन सात दिनों तक आपके स्वास्थ्य पर नजर रखी जाती है और किसी भी तरह के साइड इफेक्ट या तकलीफ होने पर इलाज का खर्च अथॉरिटी उठाती है।

कोवैक्सीन के लिए अलग प्रक्रिया
भारत बायोटेक की covaxin के केस में डॉक्टर अगले सात दिनों तक फोन करके आपका हालचाल जानते हैं। आपको इन सात दिनों तक एक फॉर्म भरना होता है, जिसमें आपने स्वास्थ्य की जानकारी देनी होती है। साथ ही कोवैक्सीन लगवाने वालों को कंसर्ट फॉर्म भी भरना होता है।

जबकि सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की covishield वैक्सीन के लिए कोई कंसेंट फॉर्म नहीं भरना होता है। वैक्सीन लेने के बाद आधे घंटे ऑब्जर्व किया जाता है और घर जाने दिया जाता है। घर जाने पर अगर कोई दिक्कत आती है तो लेने वाले को बताना होगा की क्या दिक्कत है।

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कोवैक्सीन को शर्तों के साथ मिली मंजूरी
आपको बता दें कि स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दोनों वैक्सीन को एक साथ कुछ शर्तों के साथ अनुमति मिली थी। लेकिन भारत बायोटेक दो चरण को ही पूरा कर पाई थी। कोवैक्सीन को लेकर पहला और दूसरा चरण का डेटा यानी सेफ्टी और इममुनोजेन्सिटी का डेटा था लेकिन तीसरे चरण का उतना डेटा नहीं था।

इसका मतलब है वैक्सीन सेफ है और काम करती है, लेकिन कितनी एफ्फिकेसी है ये साफ नहीं था। ऐसे में इसे शर्तों के साथ आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिली है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक दोनो वैक्सीन सुरक्षित हैं और ठीक हैं। सब कुछ सही पाए जाने पर ही डीसीजीआई ने इन्हें इस्तेमाल की मंजूरी दी है।


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