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Corona Expert डॉ. दीप्तेंद्र सरकार का दावा – ममता सरकार Sweden-Taiwan मॉडल पर जीतना चाहती है जंग

भारत में केंद्र और राज्य सरकारों ने महामारी से निपटने के लिए अपने संसाधन जुटा लिए हैं। अब पश्चिम बंगाल सराकर पाबंदियों में तेजी से ढील देने पर जोर दे रही हैं। Sweden-Taiwan मॉडल जांच बढ़ाने और उच्च जोखिम वाली आबादी को अलग करने पर जोर देता है।

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West Bengal

अब पश्चिम बंगाल सराकर पाबंदियों में तेजी से ढील देने पर जोर दे रही हैं।

नई दिल्ली। लॉकडाउन पांच में पाबंदियों में और ढील देने की सूचना के बीच पश्चिम बंगाल ( West Bengal ) के जाने माने चिकित्सक डॉ. दीप्तेंद्र सरकार ने कहा कि कोविड-19 ( COVID-19 ) की जांच बढ़ाने के साथ ऐसा लगता है कि राज्य सरकार वैश्विक महामारी पर नियंत्रण पाने के लिए धीरे-धीरे स्वीडन या ताइवान ( Sweden-Taiwan ) का मॉडल पर जोर दे रही है। सरकार का इरादा इस मॉडल के दम पर कोरोना वायरस ( coronavirus ) के खिलाफ जंग जीतने की है।

सरकारी एसएसकेएम अस्पताल कोलकाता के जाने माने वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. दीप्तेंद्र सरकार ( Eminent Senior Doctor of SSKM Hospital Kolkata Dr. Deepender Sarkar ) का कहना है कि वैसे भी केंद्र तथा राज्य दोनों ही सरकारों ने इस महामारी से निपटने के लिए अपने संसाधन जुटा लिए हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि पाबंदियों में धीरे-धीरे ढील दी जाए। केंद्र और राज्य सरकारें उसी दिशा में आगे बढ़ रही हैं। यही वजह है कि ममता सरकार ( Mamata Government ) पाबंदियों में तेजी से ढील देने पर जोर दे रही हैं।

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डॉ. दीप्तेंद्र सरकार ने बताया कि मुझे गलता है कि वे दूसरे मॉडल को अपना रहे हैं। अभी तक वे पूरी ताकत से जिस मॉडल को अपना रहे थे वह लॉकडाउन ( Lockdown ) का था। यह चीन का मॉडल है। चीन के वुहान में 72 दिन के लॉकडाउन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 60 से 70 दिन का लॉकडाउन संक्रमण के मामले कम करता है।

इसके उलट स्वीडन, ताइवान अथवा दक्षिण कोरियाई मॉडल लॉकडाउन के बजाय जांच बढ़ाने और उच्च जोखिम वाली आबादी को अलग करने पर जोर देता है। यही कारण है कि इन देशों की सरकारों को दूसरे देशों की तुलना में ज्यादा सफलता मिली।

उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ( West Bengal Government ) शुरुआत में जांच सुविधाएं न होने की वजह से कड़ा लॉकडाउन लगाया था। लेकिन अब देशभर में प्रतिदिन करीब एक लाख नमूनों की जांच क्षमता के साथ सरकार लॉकडाउन मॉडल से स्वीडन या दक्षिण कोरिया अथवा ताइवान के मॉडल की ओर जा रही है।

डॉ. सरकार ने इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन के एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि अगर 60 प्रतिशत आबादी साधारण मास्क पहने तो संक्रमण को 90 प्रतिशत तक फैलने से रोका जा सकता है।

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वहीं एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स के सचिव डॉ मानस गुमटा ( Association of Health Service Doctors Secretary Dr. Manas Gumta ) ने इस बात पर तो सहमति जताई कि लॉकडाउन हटाया जाना चाहिए, लेकिन पश्चिम बंगाल में जिस तेजी से लॉकडाउन में ढील दी जा रही है उस पर उन्हें आपत्ति है।

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन हटाने का वैज्ञानिक आधार होना चाहिए। गुमटा ने चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन हटाये जाने की जरूरत बताते हुए कहा कि लॉकडाउन सामान्यतया स्वास्थ्य संबंधी ढांचे को तैयार करने के लिहाज से समय निकालने के लिए था ताकि महामारी से प्रभावी तरीके से निपटा जा सके।

डॉ. मानस गुमटा का कहना है कि इस तरह से लॉकडाउन बिना किसी तैयारी के हटाने से परिणाम भयानक हो सकते हैं। सरकार को राजस्व की जरूरत है और लोगों को आजीविका चाहिए। इसलिए लॉकडाउन धीरे-धीरे हटाना होगा।


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