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Corona Vaccine : केंद्र का दावा – भारत में ह्यूमन ट्रायल को मंजूरी महामारी के अंत की शुरुआत

ICMR ने 15 अगस्त वैक्सीन ईजाद करने का लक्ष्य रखा था। डीसीजीआई ने COVAXIN और ZyCov-D के मानव परीक्षण इजाजत दी है।

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कोवैक्सीन को भारत बायोटेक ने आईसीएमआर और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के साथ मिलकर विकसित किया है।

नई दिल्ली। देशभर में कोरोना वायरस ( Coronavirus Pandemic ) का कहर जारी है। इस बीच केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि भारत में बन रही कोरोना वैक्सीन COVAXIN और ZyCov-D के मानव परीक्षण को मंजूरी मिलना वैश्विक महामारी के अंत की शुरुआत है।

बता दें कि कोरोना वायरस महामारी से दुनियाभर में अभी तक 1.12 करोड़ लोगों को संक्रमित हुए हैं। 5.3 लाख से ज्यादा लोगों की मौतें हो चुकी है। हेल्थ मिनिस्ट्री ने एक चिट्ठी जारी कर बताया है कि वर्तमान में दुनियाभर में 100 से अधिक वैक्सीन पर काम चल रहा है। इनमें से 11 को मानव परीक्षणों की इजाजत मिली है।

DCGI और CDSC ने ह्यूमन ट्रायल की इजाजत दी

हेल्थ मंत्रालय द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया और सीडीएससी (CDSC) द्वारा वैक्सीन के लिए मानव परीक्षण की इजाजत दी गई है। हेल्थ मिनिस्ट्री ने दावा किया है कि भारत में ह्यूमन क्लिनिकल ट्रायल इस जानलेवा वायरस के अंत की शुरुआत है। मंत्रालय ने कहा कि भारत की 6 कंपनियां करोना वैक्सीन विकसित करने के काम में जुटी है। दुनियाभर में 140 दावेदारों में से 11 में COVAXIN और ZyCov-D भी शामिल हैं जिन्हें ह्यूमन ट्रायल्स की मंजूरी मिली है।

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सरकार की ओर से यह भी कहा कि दो प्रमुख दावेदारों- AZD1222 ( ब्रिटिश फर्म एस्ट्राजेनेका ) और MRNA-1273 (US-based Moderna) के निर्माताओं ने भी भारतीय कंपनियों के साथ उत्पादन समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। बशर्ते कि उनके टीके सुरक्षित और प्रभावी साबित होने चाहिए। दोनों को द्वितीय चरण और तृतीय परीक्षणों के लिए इजाजत मिली हुई है।

दरअसल, दवा परीक्षण के पहले दो चरण सुरक्षा के लिए होते हैं। जबकि तीसरा दवा की प्रभावकारिता का परीक्षण करता है। हर चरण को पूरा होने में कई महीने या कई बार साल भी लग सकते हैं। हेल्थ मिनिस्ट्री का यह बयान उस विवाद के बाद आया है जिसमें इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) तक और जारी करने का लक्ष्य रखा गया था।

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कोरोना वैक्सीन में जल्दबाजी का हो सकता गंभीर परिणाम

कोरोना वायरस महामारी के चिकित्सकीय विशेषज्ञों और विपक्षी दलों ने इसे लेकर दावा किया था कि इस वर्ष के अंत में बिहार में महत्वपूर्ण चुनावों से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राजनीतिक लाभ के लिए यह तारीख निर्धारित की गई थीं। उन्होंने यह भी चेतावनी दी थी कि क्लीनिकल ट्रायल के जरिए दवा लाने की जल्दबाजी लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर रूप से खतरे पैदा हो सकते हैं।

बता दें कि कोवैक्सीन' को भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) के साथ मिलकर विकसित किया है।


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