कोरोना को मात देने वाले लाखों लोगों में 103 वर्षीय बुजुर्ग भी शामिल है। मंगलवार को इस बुजुर्ग शख्स ने कोरोना से जंग जीत ली है। आईए जानते हैं पूरा मामला।
सुशांत सिंह राजपूत केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही सितारों ने दिए चौंकाने वाले बयान, जानें क्या कुछ कहा 28 जुलाई को अलुवा के निवासी 103 वर्षीय फरीद को एर्नाकुलम के कलामासेरी मेडिकल कॉलेज ( Kalamassery medical College) में कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद भर्ती किया गया था। तेज बुखार और बदन दर्द की शिकायत के बाद उनका कोरोना टेस्ट भी किया गया। रिपोर्ट में कोरोना से संक्रमित होने की पुष्टि हुई। इसके बाद फरीद को कलामासेरी मेडिकल कॉलेज में स्थानांतरित कर दिया गया।
फरीद में कोरोना के शुरुआती लक्षण होने की वजह से उनका ट्रीटमेंट शुरू हुआ। उम्र अधिक होने की वजह से फरीद हाई रिस्क पर थे। यही वजह है कि एक विशेष चिकित्सा दल की ओर से लगातार उनकी निगरानी की जा रही थी।
20 दिनों तक उनका अस्पताल में इलाज चला। इसके बाद मंगलवार को फरीद ने 103 वर्ष की उम्र में कोरोना को मात दी। इस जंग को जीतकर फरीद ने एक बार उन लोगों को संदेश दिया है कि हौसला और जिंदगी जीने की चाहत हो तो हर मुश्किल छोटी साबित होती है।
मानसून को लेकर मौसम विभाग ने दी बड़ी चेतावनी, देश के इन इलाकों में अगले कुछ दिनों में होगी जोरदार बारिश इलाज के बाद उनके टेस्ट निगेटिव आए तो फरीद को अस्पताल से छुट्टी मिल गई। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने कहा कि यह बड़े गर्व की बात है कि हम बुजुर्ग मरीजों का इलाज कर रहे हैं और उन्हें स्वस्थ्य कर घर भेज रहे हैं।
वहीं अस्पताल के स्टाफ में बुजुर्ग की अनोखे अंदाज में विदाई की। आपको बता दें कि इससे पहले कोल्लम जिले की 105 वर्ष की महिला ने कोरोना के केवल 9 दिन में मात दी थी। 29 जुलाई को बुजुर्ग महिला को छुट्टी दे दी गई थी।