
विदेशों से आने वाले यात्रियों की होगी थर्मल स्क्रीनिंग।
नई दिल्ली।कोरोना वायरस ( coronavirus ) को लेकर पूरी दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है। चीन ( China ) के वुहान शहर से फैले इस वायरस ने 75 देशों तक अपना पैर पसार लिया है। भारत में भी नोवल कोरोना वायरस का आगमन हो चुका है। भारत में अब तक 18 लोगों में कोरोना वायरस की पुष्टि हो चुकी है। इस वायरस से निपटने के लिए सरकार भी पूरी से तैयार है। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों से अपील की है कि वे घबराए नहीं। उन्होंने यहां तक कहा है कि लोग सावधानी बरते और भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचें। वहीं, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि इस वायरस से लड़ने के लिए हम पूरी तरह तैयार हैं और अब उन्होंने कहा कि सभी एयरपोर्ट पर थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी, ताकि बाहर से आने वाले कोरोना वायरस से संक्रमित शख्स की पहचान की जा सके। हम आपको बताते हैं कि आखिर क्या है थर्मल स्क्रीनिंग ( Thermal Screening ) और कोरोना वायरस की यह कैसे पहचना करता है?
सबसे पहले जानिए क्या थर्मल स्कैनर?
थर्मल स्कैनर ऐसा उपकरण या सिस्टम है, जिसके जरिए कोरोना वायरस या फिर किसी और रोग से ग्रसित व्यक्ति की पहचान की जा सकती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, थर्मल स्कैनर एक हेल्दी व्यक्ति और विषाणु से ग्रस्त व्यक्तियों में अंतर बताता है। इस स्कैनर की खासियत यह है कि इससे निकलने वाली तरंगों का मानव शरीर पर कोई बुरा असर या नुकसान नहीं होता। लेकिन, इसका इस्तेमाल विशेषज्ञ की देखरख में ही करनी चाहिए।
थर्मल स्कैनर कैसे करता है मरीजों की पहचान?
आमतौर पर थर्मल स्कैनिंग को लेकर लोगों के मन में डर लगा रहता है कि कहीं कोई यह नुकसान न करे दें। सामान्य लोग थर्मल स्कैनिंग को सीटी-स्कैन जैसी किसी मशीन से जोड़कर देखते हैं। लेकिन, आपको बता दें कि थर्मल स्कैनिंग मानव शरीर की जांच के सबसे आसान उपायों में से एक है और इसके लिए किसी भी व्यक्ति को किसी भारी भरकम मशीन से होकर नहीं गुजरना पड़ता है। खुद केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा था कि इस प्रक्रिया में विदेशों से आ रहे लोगों को हवाईअड्डे पर एक स्कैनर से होकर गुजरना होता है। इस दौरान यदि थर्मल स्कैनर से गुजरने वाले किसी व्यक्ति के शरीर का तापमान सामान्यत व्यक्ति के तापमान से अधिक पाया जाता है, तो ऐसे संदिग्ध की मेडिकल जांच की जाती है।
थर्मल स्कैनर एक इंफ्रारेड कैमरे की तरह काम करता है। इस स्कैनर के जरिए गुजरने वाले व्यक्ति के शरीर में मौजूद विषाणु इंफ्रारेड तस्वीरों में दिखाई पड़ते हैं, विषाणुओं की संख्या अधिक या खतरनाक स्तर पर होने पर व्यक्ति के शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है। लिहाज, इससे पता चल जाता है कि व्यक्ति किसी संक्रमण से ग्रसित है और आसानी से उसकी पहचान हो जाती है।
Updated on:
04 Mar 2020 03:25 pm
Published on:
04 Mar 2020 01:52 pm
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