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Coronavirus महामारी में Nepal की बड़ी मदद, 3 भारतीय कंपनियों कर रहीं Remdesivir की सप्लाई

माइलान, सिप्ला और हेटेरो ड्रग्स नेपाल में करेंगी रेमडेसिवीर की सप्लाई। अब तक नेपाल में उपलब्ध नहीं थी यह एंटी-वायरल जीवन रक्षक दवा। नेपाल औषधि प्रशासन विभाग के महानिदेशक नारायण प्रसाद ढकाल ने की पुष्टि।

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Coronavirus: Now Nepal also have life-saving drug Remdesivir

Coronavirus: Now Nepal also have life-saving drug Remdesivir

नई दिल्ली। तीन भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनियों ने COVID-19 रोगियों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली जीवन रक्षक एंटी वायरल दवा रेमडेसिवीर की नेपाल में आपूर्ति करना शुरू कर दिया है। औषधि प्रशासन विभाग के महानिदेशक नारायण प्रसाद ढकाल ने इसकी पुष्टि की है।

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ढकाल ने कहा, "हमने रेमडेसिवीर की आपूर्ति के लिए तीन कंपनियों की पुष्टि की है। माइलान, सिप्ला और हेटेरो ड्रग्स हमारी मांग के अनुसार दवाओं की आपूर्ति करेंगे। हम केवल इन कंपनियों द्वारा आपूर्ति की जाने वाली एंटी-वायरल दवा के इस्तेमाल की अनुमति देंगे।"

उन्होंने आगे कहा, "इनमें से माइलान ने नेपाल को एंटी वायरल की आपूर्ति शुरू कर दी है। सबसे पहले हमने इसकी 570 शीशियों का ऑर्डर दिया है और इसकी डिलीवरी भी की जा चुकी है। भारतीय की कंपनियों तक पहुंचने में आसानी होती है और इससे लागत भी कम आती है, इसलिए हमने इन्हें मंगाने की हामी भरी।"

दरअसल रेमडेसिवीर एंटी-वायरल दवा उन मरीजों के लिए कारगर साबित हुई है जिन्हें गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में रखा गया था और यह उन्हें खतरे से बाहर ले आई। हालांकि हिमालयन राष्ट्र नेपाल में यह अब तक उपलब्ध नहीं थी। ढकाल ने कहा, "नेपाल के बाजार में आने पर इसकी कीमत लगभग 7,800 नेपाली रुपये प्रति शीशी होगी। यह मरीज के परिवार के अतिरिक्त खर्चों को बचाएगी।"

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नेपाल मेडिकल काउंसिल के निर्देश (COVID-19 के लिए अंतरिम नैदानिक मार्गदर्शन) ने भी रेमडेसिवीर दवा को प्राथमिक दवा के रूप में सूचीबद्ध किया है। अब तक गंभीर अवस्था में आने वाले रोगियों के परिवार को विशेष व्यवस्था के तहत इसे भारत से लाना पड़ता था, लेकिन स्थानीय बाजार में उपलब्धता के कारण यह उनके खर्चों में बचत करेगा।

हिमालयी राष्ट्र के औषधि प्रशासन विभाग के महानिदेशक के अनुसार यह हमेशा भारतीय कंपनियां हैं जो राष्ट्र को ड्रग्स और फार्मास्यूटिकल्स निर्यात करने के लिए आगे बढ़ती हैं। अन्य राष्ट्रों से दवा आयात करने की अनुमति पाने वाली 123 कंपनियों में से आधे से अधिक भारत की कंपनियां हैं, जो यूरोप या अमरीका में मुख्यालय वाली मूल कंपनियों के लिए विभिन्न रूपों पर काम करती हैं।