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Coronavirus outbreak: स्कूल बंद हुए तो क्या हुआ, बच्चों का मिड-डे मील घर पहुंचेगा

— सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद केरल सरकार फैसला, करीब चार लाख बच्चों को मिलेगा लाभ— दूसरे राज्यों में अब भी संशय बरकरार, आखिर कैसे मिलेगा बच्चों को पोषण

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नई दिल्ली

देश के करीब 12 करोड़ बच्चों को मिड—डे मील नहीं मिल पा रहा है। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों से लेकर केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद केरल सरकार ने बच्चों का मिड—डे मील उनके घर पर भेजने का फैसला किया है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि तीन से छह साल के बच्चों को यह भोजन घर भेजा जाएगा। जिससे उन्हें स्वास्थ्यप्रद भोजन अवरोध रूप से मिलता रहे। दरअसल, कोरोना इफेक्ट के चलते पूरे देश में स्कूलों को बंद कर दिया गया है। इसी के तहत बच्चों को स्कूल के अंदर मिलने वाला मिड—डे मील भी बंद हो गया था। फिलहाल दूसरे राज्यों ने अभी तक अपना रुख कुछ भी स्पष्ट नहीं किया है।

दरअसल, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में औसतन 12 लाख स्कूलों में करीब 12 करोड़ बच्चे मिड डे मील ले रहे हैं। लेकिन स्कूलों के बंद हो जाने के बाद से इन बच्चों के मिड—डे मील को लेकर सरकारें कोई निर्णय नहीं ले सकी हैं। ऐसे में सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर इन बच्चों को कैसे मिड—डे मील मुहैया कराया जाए। इसी को स्वसंज्ञान लेते हुए चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने बुधवार को सभी राज्य सरकारों को नोटिस कर समाधान पूछा था। इसी के जवाब में केरल सरकार ने भोजन बच्चों के घर भेजने का फैसला किया है, जबकि इस समय केरल सबसे ज्यादा कोरोना की चपेट में है।

आंगनबाड़ियों का क्या होगा
दरअसल, स्कूल ऐसे जरूरतमंद बच्चों को मिड—डे मील के सहारे स्कूल तक लाते थे, जो भोजन की तलाश में बाल मजदूरी का शिकार होते थे या फिर भोजन तलाशने के लिए स्कूल छोड़ देते थे। स्कूलों के साथ राज्य सरकारों ने आंगनबाड़ियों के संचालन पर भी रोक लगा दी है। इन आंगनबाड़ियों के जिम्मे शहरी और ग्रामीण इलाकों में बच्चों को कुपोषण से बचाने का जिम्मा है। यह आंगनबाड़ियां गर्भवती महिलाओं से लेकर छोटे बच्चों के पोषणआहार तक के लिए काम करती हैं। लेकिन इनके भी बंद हो जाने से कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर इन बच्चों और गर्भवतियों की देखरेख कैसे होगी।