दरअसल, 22 मार्च से देश में अघोषित लॉकडाउन लागू हुआ था, जिसे आज से आधिकारिक तौर पर लागू कर दिया गया है। पूरा देश बंद है। परिवहन के सभी साधनों को बंद कर दिया गया है। सिर्फ इमरजेंसी सर्विस और जरूरी सामानों को मुहैया कराने वाली सेवाओं को छोड़कर बाकी सब बंद हैं। सरकार की कोशिश है कि अगले 14 दिनों में कोरोनावायरस की चेन को ब्रेक किया जाए और बाकी के सात दिनों में नए केसों के आने की गति को परखा जाए।
ऐसे में कुल मिलाकर एक बात पूरी तरह से साफ है कि अगर 21 दिन के लॉकडाउन के बाद भी कोरोना के मरीज यूं ही मिलते रहे तो फिर देश में लॉकडाउन की तारीख को बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि देश के भीतर लॉकडाउन का सख्ती के साथ पालन किया जाए और लोगों को घरों के भीतर ही रहने के लिए मजबूर किया जाए। अगर लोग बाहर आएंगे तो मुश्किलें लगातार बढ़ती ही रहेंगी। लॉकडाउन जितना लंबा होगा, सरकार के लिए मुश्किलें उतनी ही ज्यादा होती जाएंगी। ऐसे में सबसे जरूरी है कि लॉकडाउन पूरी तरह से सख्त होना चाहिए।
चीन ने दिखाई थी सख्ती
लॉकडाउन की शुरुआत सबसे पहले चीन ने वुहान से ही थी। उसके बाद उसने हुबेई को लॉकडाउन किया। फिलहाल 6.5 करोड़ लोग हुबेई में सख्ती से लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं। वह पिछले 90 दिनों के से घर के बाहर तक नहीं निकले हैं। वुहान और हुबेई में पिछले पांच दिनों में सिर्फ एक नया मरीज ही सामने आया है, उसके बाद आज लॉकडाउन में थोड़ी देर की छूट देने का ऐलान हुआ है। मतलब तीन महीने के बाद आज हुबेई के लोग घर के बाहर की सड़क पर आकर देखेंगे। इतना ही नहीं, इनको 8 अप्रैल के बाद चीन के दूसरे राज्यों में जाने की इजाजत मिल सकती है। लेकिन सब कुछ निर्भर करेगा, नए केसों के मिलने की संख्या पर।
लॉकडाउन की शुरुआत सबसे पहले चीन ने वुहान से ही थी। उसके बाद उसने हुबेई को लॉकडाउन किया। फिलहाल 6.5 करोड़ लोग हुबेई में सख्ती से लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं। वह पिछले 90 दिनों के से घर के बाहर तक नहीं निकले हैं। वुहान और हुबेई में पिछले पांच दिनों में सिर्फ एक नया मरीज ही सामने आया है, उसके बाद आज लॉकडाउन में थोड़ी देर की छूट देने का ऐलान हुआ है। मतलब तीन महीने के बाद आज हुबेई के लोग घर के बाहर की सड़क पर आकर देखेंगे। इतना ही नहीं, इनको 8 अप्रैल के बाद चीन के दूसरे राज्यों में जाने की इजाजत मिल सकती है। लेकिन सब कुछ निर्भर करेगा, नए केसों के मिलने की संख्या पर।
क्या हम इतने गंभीर हैं?
अगर चीन की बात करें तो वहां पर लॉकडाउन का पालन बड़ी ही सख्ती के साथ किया गया। लोगों को लॉकडाउन में घरों के बाहर आने की इजाजत नहीं थी। लोगों ने इसका पालन भी सख्ती के साथ ही किया। लेकिन हमारे देश में इसके उलट ही हालात दिख रहे हैं। लोग सड़कों पर आ रहे हैं, भीड़ इकठ्ठा कर रहे हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो शायद 21 दिन में लॉकडाउन का खत्म हो पाना संभव नहीं हो सकेगा। इसके लिए जरूरी यही है कि हम सबको अपने घर के भीतर सख्ती से रहना होगा। खुद को अनुशासित करके ही
अगर चीन की बात करें तो वहां पर लॉकडाउन का पालन बड़ी ही सख्ती के साथ किया गया। लोगों को लॉकडाउन में घरों के बाहर आने की इजाजत नहीं थी। लोगों ने इसका पालन भी सख्ती के साथ ही किया। लेकिन हमारे देश में इसके उलट ही हालात दिख रहे हैं। लोग सड़कों पर आ रहे हैं, भीड़ इकठ्ठा कर रहे हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो शायद 21 दिन में लॉकडाउन का खत्म हो पाना संभव नहीं हो सकेगा। इसके लिए जरूरी यही है कि हम सबको अपने घर के भीतर सख्ती से रहना होगा। खुद को अनुशासित करके ही