
RML Hospital में 13 मई को कोरोना पीड़ित गर्भवती ने एक बच्चे को जन्म दिया था।
नई दिल्ली। दिल्ली के लुटियन जोन स्थित राम मनोहर लोहिया अस्पताल ( Ram Manohar Lohiya Hospital ) में जन्म लेने वाला देश के सबसे छोटे कोरोना संक्रमित मरीज को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। 13 दिन का यह मासूम अभी तक देश में सबसे कम उम्र का कोरोना मरीज बताया जा रहा है। प्रारंभिक जांच में बच्चे को कोरोना वायरस ( coronavirus ) संक्रमण के लक्षण न मिलने पर उसे घर पर ही क्वारंटाइन ( Home Quarantine ) किया गया है।
14 दिन बाद फिर से होगी जांच
राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 13 मई को कोरोना पीड़ित गर्भवती ने एक बच्चे को जन्म दिया था। नीकू के डॉ. तापस व अन्य चिकित्सकों ने बच्चे की 5 दिन बाद 18 मई को नवजात की जांच कराई गई तो कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई। डॉक्टरों ने एहतियात के साथ बच्चे को रखा। डॉक्टरों का कहना है सिर्फ 5 दिन के बच्चे को जब कोरोना संक्रमण हुआ तो हमनें सावधानी बरती और बच्चा बिल्कुल स्वस्थ्य है।
अस्पताल के चिकित्सकों ने बताया कि फिलहाल बच्चा घर पर परिजनों के साथ है। वहां बच्चे को सावधानी के साथ मां का दूध पिलाने के लिए कहा गया है। अस्पताल की टीम दिन में दो बार कॉल कर बच्चे का हाल चाल लेती है। वह स्वस्थ्य है। हम 14 दिन बाद उसकी फिर से जांच कराएंगे।
कोरोना का खतरा बच्चों में कम
आरएमएल अस्पताल के डॉ. राहुल चौधरी ने बताया कि अभी जितने शोध सामने आए हैं उनके मुताबिक बच्चों को कोरोना से वयस्कों के मुकाबले कम खतरा होता है। एक शोध के मुताबिक बच्चों की नाक में मौजूद एपिथिलियमी ऊतकों में कोविड-19 ( Covid-19 ) रिसेप्टर एसीई 2 की मात्रा बहुत कम होती है। अमरीका के माउंट सिनाई में इकान स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने पाया है कि सार्स-सीओवी-2 किसी भी सजीव शरीर में प्रवेश करने के लिए रिसेप्टर एसीई 2 का उपयोग करता है।
कोरोना को छोड़ सभी जांच रिपोर्ट सामान्य
दिल्ली के पटेल नगर के रहने वाले एक व्यक्ति का यह बच्चा भले ही कोरोना संक्रमण की चपेट में आया हो लेकिन इसे किसी भी तरह के लक्षण नहीं आए। आरएमएल अस्पताल के नवजात शिशु रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर राहुल चौधरी ने बताया कि इस बच्चे को न तो बुखार था और न ही कोई और लक्षण। कोरोना संक्रमण को छोड़कर बच्चे की अन्य जांच रिपोर्ट भी सामान्य आईं। इसके बाद हमने बच्चे को अस्पताल से छुट्टी दे दी।
बच्चों में कोरोना के लक्षण वयस्कों की तरह नजर नहीं आते
आरएमएल अस्पताल के नवजात शिशु रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राहुल चौधरी ने बताया कि कई शोध में देखा गया है कि कोविड-19 का वायरस बच्चों के फेफड़ों में न जाकर ऊपरी हिस्सों यानी नाक, मुंह, गले तक ही सीमित रहता है और उन्हें खांसी, नजले जैसी मामूली शिकायत होती है। यही वजह है कि बच्चों में कोरोना के लक्षण वयस्कों जैसे नजर नहीं आते और न ही उनमें ये वायरस मौत की वजह बनता है।
Updated on:
25 May 2020 08:19 am
Published on:
25 May 2020 08:02 am
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