दरअसल गुजाराभत्ते के एक मामले में अदालत ने महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यक्ति की कमाई पर सिर्फ उसकी पत्नी या बच्चों का हक नहीं होता है, बल्कि बुजुर्ग माता-पिता भी उसकी आय के हिस्सेदार होते हैं। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला
बंगाल में बीजेपी को ओवैसी से नहीं बल्कि इस पार्टी से ज्यादा उम्मीदें, जानिए क्या है पीछे की रणनीति कोर्ट ने अपने एक आदेश में साफ किया कि पत्नी व बेटे के बराबर ही किसी भी व्यक्ति पर उसके माता-पिता का अधिकार होता है। दिल्ली की तीस हजारी स्थित प्रिंसिपल जिला एवं सत्र न्यायाधीश गिरीष कथपालिया की अदालत ने इस मामले में वादी महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रतिवादी पति से आय संबंधी हलफनामा पेश करने को कहा था।
महिला का कहना था कि उसके पति की मासिक आय 50 हजार रुपए से ज्यादा है, जबकि उसे और उसके बच्चे को महज दस हजार रुपए गुजाराभत्ता दिया जा रहा है। वहीं पति की ओर से पेश हलफनामे में कहा गया कि उसकी मासिक आय 37 हजार रुपए है और इसी रकम में से पत्नी व दो साल के बेटे की परवरिश के अलावा खुद का खर्च और बुजुर्ग माता-पिता की गुजर-बसर भी करता है।
कोर्ट ने पति के हलफनामे को देखते हुए सुरक्षा अधिकारी को रिपोर्ट पेश करने को कहा था। इस रिपोर्ट में बताया कि प्रतिवादी ने सही तथ्य पेश किए हैं। उसका आयकर खाते के मुताबिक, उसकी मासिक आय 37 हजार रुपए ही है। साथ ही रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि माता-पिता के जीवन-यापन के अलावा उनकी बीमारी का खर्च भी प्रतिवादी ही उठाता है। कोर्ट ने रिपोर्ट में दिए गए तथ्यों को गंभीरता से लिया।
उधर पत्नी ने कहा कि पति की ज्यादा जिम्मेदारी उसके और बच्चों के प्रति होनी चाहिए। ऐसे में उसका गुजाराभत्ता बढ़वाया जाए। कोरोना वायरस का लगातार बढ़ रहा खतरा, दूल्हे ने बारात ले जाने के लिए अपनाया अनूठा तरीका, देखकर आप भी रह जाएंगे दंग
कोर्ट ने वेतन को 6 हिस्सों में बांटा
इस मामले का निपटारा करते हुए कोर्ट ने प्रतिवादी पति की तनख्वाह को छह हिस्सों में बांट दिया। दो हिस्से प्रतिवादी को दिए। इसके अलावा पत्नी, बेटे, माता और पिता को एक-एक हिस्सा दिया।
इस मामले का निपटारा करते हुए कोर्ट ने प्रतिवादी पति की तनख्वाह को छह हिस्सों में बांट दिया। दो हिस्से प्रतिवादी को दिए। इसके अलावा पत्नी, बेटे, माता और पिता को एक-एक हिस्सा दिया।
कोर्ट ने इस मामले में पत्नी की पति की आय के हिसाब से गुजाराभत्ता बढ़ाने की याचिका का निपटारा करते हुए यह निर्णय किया है।