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सितंबर में बच्चों के लिए कोविड वैक्सीन को मिल सकती है मंजूरी: AIIMS डायरेक्टर डॉ. गुलेरिया

locationनई दिल्लीPublished: Jun 23, 2021 05:48:50 pm

Submitted by:

Anil Kumar

दिल्ली एम्स अस्पताल के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया है कि इस साल सितंबर में बच्चों के लिए वैक्सीन आ सकती है। उन्होंने कहा कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को सितंबर तक बच्चों को लगाने के लिए मंजूरी दी जा सकती है।

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Covid vaccine for children may get approval in September: AIIMS Director Dr. Guleria

नई दिल्ली। भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर का प्रकोप अब धीमा पड़ चुका है। लेकिन तमाम स्वास्थ्य विशेषज्ञ व डॉक्टर्स कोरोना की तीसरी लहर की संभावनाओं को लेकर चेतावनी जारी कर रहे हैं। माना जा रहा है कि अक्टूबर तक कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है।

ऐसे में सरकार कोरोना की संभावित तीसरी लहर के आने से पहले अधिक से अधिक लोगों को टीका लगाने के लिए बीते 21 से पूरे देश में महाटीकाकरण अभियान शुरू की है। सरकार का लक्ष्य है कि इस साल के अंत तक सभी नागरिकों को टीका लगाया जाए। चूंकि देश में अभी तक बच्चों के लिए वैक्सीन की मंजूरी नहीं मिल पाई है, ऐसे में सरकार के लिए तीसरी लहर से निपटना एक बड़ी चुनौती है।

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इस बीच बच्चों के वैक्सीन को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। दिल्ली एम्स अस्पताल के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने जानकारी देते हुए बताया है कि इस साल सितंबर में बच्चों के लिए वैक्सीन आ सकती है। उन्होंने कहा कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को सितंबर तक बच्चों को लगाने के लिए मंजूरी दी जा सकती है।

डॉ. गुलेरिया ने कहा, ”बच्चों पर कोवैक्सीन के दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल के बाद सितंबर तक डाटा उपलब्ध हो जाएगा। जिसके बाद इसी महीने बच्चों को टीका लगाने को लेकर कोवैक्सीन को मंजूरी दी जा सकती है।” उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि यदि भारत में फाइजर-बायोएनटेक को मंजूरी मिल जाती है तो उससे पहले ही बच्चों को टीका लगाने का एक विकल्प मिल सकता है। बता दें कि फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन को ब्रिटेन में बच्चों के लिए इजाजत मिल चुकी है।

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तीसरी लहर में बच्चे हो सकते हैं प्रभावित?

मालूम हो कि एम्स पटना और एम्स दिल्ली में 2 से 12 साल तक के बच्चों पर कोवैक्सीन का ट्रायल किया जा रहा है। डीसीजीआई ने इसी साल 12 मई को भारत बायोटेक को बच्चों पर दूसरे और तीसरे तरण के ट्रायल की मंजूरी दी थी।

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गौरतलब है कि अभी हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और एम्स ने मिलकर एक सीरो सर्वे किया था। इस सर्वे में ये बात सामने आई कि कोरोना की तीसरी लहर का असर वयस्कों की तुलना में बच्चों के बहुत अधिक प्रभावित होने की संभावना नहीं है। यह अध्ययन पांच राज्यों में कुल 10,000 की प्रस्तावित आबादी के बीच किया गया था।

इस संबंध में डॉ. गुलेररिया ने भी इस बात से इनकार किया कि तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की संभावना अधिक है। उन्होंने कहा कि इस थ्योरी पर विश्वास करने का कोई कारण ही नहीं है।

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