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जब्त हो सकता है साइकिल चुनाव चिन्ह : कुरैशी

पूर्व निर्वाचन आयुक्त एस.वाई.कुरैशी ने सोमवार को कहा कि ऐसा भी हो सकता है कि दोनों में से किसी भी गुट को साइकिल चुनाव चिन्ह न मिले

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Jameel Ahmed Khan

Jan 02, 2017

SY Qureshi

SY Qureshi

नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी (सपा) में दो फाड़ के बाद पार्टी के चुनाव चिन्ह 'साइकिल'; को अपने पास रखने के लिए मुलायम गुट व उनके बेटे अखिलेश गुट के प्रयासों के बीच पूर्व निर्वाचन आयुक्त एस.वाई.कुरैशी ने सोमवार को कहा कि ऐसा भी हो सकता है कि दोनों में से किसी भी गुट को साइकिल चुनाव चिन्ह न मिले।

एक समाचार चैनल से बातचीत करते हुए कुरैशी ने कहा, अपने पास बहुमत को दर्शाने के लिए दोनों पक्ष अपने दावे के पक्ष में हलफनामा और अपने समर्थकों के हस्ताक्षर पेश करेंगे। उन्होंने कहा, इनका सत्यापन होगा और इसमें चार से पांच महीने का वक्त लग सकता है। मुझे नहीं लगता कि यह चुनाव से पहले होने जा रहा है, क्योंकि दोनों पक्षों के दावे मजबूत हैं और दोनों मजबूती से अपना पक्ष रखेंगे।

कुरैशी ने कहा, साइकिल चुनाव चिन्ह को जब्त कर लिया जाएगा तथा अनौपचारिक नाम तथा अनौपचारिक चुनाव चिन्ह प्रदान किए जा सकते हैं। निर्धारित प्रक्रिया तथा उसी के हिसाब से लगने वाले समय के बाद अंतिम फैसला आएगा।


अखिलेश खेमे ने मानी हार, साइकिल न मिलने पर इस तरह लड़ेंगे चुनाव

नई दिल्ली/नोएडा. साइकिल की लड़ाई में मुलायम और अखिलेश एक-दूसरे के आमने-सामने हैं. दोनों ही पक्ष साइकिल चुनाव चिन्ह पर कब्जे को लेकर दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं, लेकिन इसी बीच अखिलेश खेमे ने यह संकेत देने शुरू कर दिए हैं कि अगर उन्हें चुनाव चिन्ह नहीं मिलता तो भी वे मजबूती के साथ चुनाव लड़ेंगे.

मुलायम के साथ रहेगी साइकिल


दरअसल मुलायम सिंह की पार्टी के अंदर जो संवैधानिक स्थिति है, उसे देखते हुए यह माना जा रहा है कि अखिलेश खेमे को साइकिल चुनाव चिन्ह मिलने में संकट आ सकता है और चुनाव चिन्ह मुलायम के ही साथ बना रह सकता है. इसलिए इस स्थिति को देखते हुए अखिलेश खेमे का बिना साइकिल के भी चुनाव का सफर तय करने के लिए तैयार होने की बात अहम लगती है.

निकाल जाएंगे कई महीने

इसके आलावा जैसा कि अभी तक चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली रही है, यह माना जा रहा है कि अगर मुलायम और अखिलेश दोनों ही खेमे अपनी-अपनी मांगों को लेकर डटे रहे और कोई पीछे हटने को तैयार नहीं हुआ तो आयोग को इस मामले की सुनवाई में कम से कम चार से पांच महीने का समय निकल जाएगा. ऐसे में यही सम्भावना है कि चुनाव आयोग साइकिल चुनाव चिन्ह को जब्त कर लेगा और दोनों ही पक्षों को अस्थायी चुनाव चिन्ह वितरित कर देगा. अब जबकि यूपी चुनाव बिलकुल सर पर हैं, दोनों ही दलों को साइकिल की सवारी नहीं करने को मिलेगी तो जाहिर है कि उनको नुकसान उठाना पड़ेगा. लेकिन अब दोनों ही पक्षों के पास कोई विकल्प न होने की स्थिति में दोनों ही पक्षों को अस्थायी चुनाव चिन्ह से सन्तोष करना पड़ सकता है.

अखिलेश के नाम पर लड़ेंगे चुनाव


दरअसल अखिलेश खेमे के प्रमुख नेता नरेश उत्तम, जिन्हें अखिलेश ने शिवपाल की जगह प्रदेश अध्यक्ष बनाया है, ने यह कहकर स्थिति साफ़ कर दिया है कि अगर उन्हें चुनाव आयोग से इस चुनाव में साइकिल चुनाव चिन्ह नहीं भी मिलता है तो उन्हें परेशानी की कोई बात नहीं लगती. वे अखिलेश के नाम और उनके किये गए काम को ही आगे रखकर चुनाव लड़ेंगे और जीत हासिल करेंगे. इसी तरह के बयान और भी नेताओं के आये हैं. इससे यह संकेत मिलने लगा है कि अखिलेश खेमा चुनाव चिन्ह न मिलने की स्थिति में चुनाव का सामना करने को तैयार हो चुका है.

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