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दुश्मन के लिए काल बन जाएंगे स्पेशल कमांडो, रक्षा मंत्रालय ने खरीदे घातक हथियार

रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के लिए अत्याधुनिक हथियारों की सप्लाई के लिए कई मुल्कों से डील की है। स्पेशल कमांडो की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी।

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Chandra Prakash Chourasia

Jul 19, 2018

Defense Ministry

दुश्मन के लिए काल बन जाएंगे स्पेशल कमांडो, रक्षा मंत्रालय ने खरीदे घातक हथियार

नई दिल्ली। दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में से एक भारतीय सेना की ताकत और अधिक बढ़ने वाली है। रक्षा मंत्रालय ने सेना के लिए अत्याधुनिक हथियारों की सप्लाई के लिए कई मुल्कों से डील की है। इसमें लंबी दूरी तक मार गिराने वाले स्नाइपर राइफल्स, मैन पोर्टेबल एंटी टैंक और माइक्रो ड्रोन समेत कई घातक हथियार शामिल हैं। ये हथियार स्पेशल कमांडोज की ताकत को कई गुना बढ़ा देंगी।

6 देशों से हुए गुप्त समझौते

एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने उच्च स्तर के हथियार बनाने में माहिर इजरायल, फिनलैंड, इटली, जर्मनी, रूस और स्वीडन जैसे देशों से एक गुप्त समझौता किया है। ये हथियार थल सेना में कठिन ऑपरेशनों को अंजाम देने वाली बटालियन के अलावा वायु सेना और नव सेना को दिया जाएगा।

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काम आया सर्जिकल स्ट्राइक का अनुभव

बता दें कि सितंबर, 2016 में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में घुसकर पैरा एसएफ कमांडोज ने सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था। भविष्य में भी ऐसे कठिन ऑपरेशन की सौ फीसदी सफलता के लिए सरकार ने कमर कस ली है। सर्जिकल स्ट्राइक से लौटे जवानों के अनुभव के आधार पर मंत्रालय अब अधिक घातक लेकिन हल्के हथियारों को खरीदने पर जोर दे रही है।

तीनों सेनाओं को पास होगा अत्याधुनिक हथियार

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि करीब 2017 करोड़ की लागत से नेवी के एक हजार मेरिन कमांडो के लिए रूस में बनी वीएसएस स्नाइपर राइफल्स, रिमोट के जरिए बम को डिफ्यूज करने वाले रक्षा संसाधनों की खरीदारी की सहमति बनी है। वहीं वायुसेना के गरूड़ कमाडो के लिए 65 माइक्रो यूएपी, 12 नए लाइट वेट प्लेन, स्नाइपर राइफल्स और ताकतवर गोला-बारूदों की खरीदारी होगी।

संसदीय समिति ने कहा था नहीं हैं अत्याधुनिक हथियार

गौरतलब है कि मार्च में ही आई संसद की स्थायी समिति रिपोर्ट के मुताबिक हथियारों का सबसे बड़ा आयातक होने के बावजूद भारतीय सेना के पास दो-तिहाई से अधिक यानी 68 प्रतिशत हथियार और उपकरण पुराने हैं और केवल 8 प्रतिशत ही अत्याधुनिक हैं। हालत यह है कि सेना के पास जरूरत पड़ने पर हथियारों की आपात खरीद और दस दिन के भीषण युद्ध के लिए जरूरी हथियार तथा साजो-सामान तथा आधुनिकीकरण की 125 योजनाओं के लिए भी पर्याप्त पैसा नहीं है। दो मोर्चों पर एक साथ युद्ध की तैयारी के नजरिए से भी सेना के पास हथियारों की कमी है और उसके ज्यादातर हथियार पुराने हैं।


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