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शहीद औरंगजेब के घर पहुंची रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण, परिवार को गले लगाकर दिया सांत्वना

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कश्मीर के पूंछ में शहीद राइफलमैन औरंगजेब के घर पहुंची।

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Chandra Prakash Chourasia

Jun 20, 2018

Nirmala Sitharaman

शहीद औरंगजेब के घर पहुंची रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण, परिवार को गले लगाकर दिया सांत्वना

नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के पूंछ में 15 जून को आतंकवादियों ने जिस राइफलमैन औरंगजेब की अगवा कर हत्या की थी, आज खुद रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण उनके घर पहुंची हैं। रक्षामंत्री मेंढर तहसील के सलानी गांव पहुंच कर औरंगजेब के पूरे परिवार से बातचीत कर रही हैं। बता दें कि औरंगजेब के परिवार के ज्यादातर सदस्य सेना से जुड़े हुए हैं। उनके पिता खुद सेना से रिटायर्ड हैं।

रक्षामंत्री को देख जब औरंगजेब की मां रोने लगीं तो निर्मला सीतारमण ने उन्हें गल लगा दिया। मुलाकात के बाद रक्षामंत्री ने परिजनों को कुछ उपहार भी दिए हैं। वो यहां करीब आधे घंटे कर रूकी थीं।

पहली बार सिपाही के घर रक्षामंत्री

मीडिया रिपोर्ट के मुताबित आज से पहले कभी भी किसी सैनिक के घर खुद देश के रक्षा मंत्री नहीं गए हैं। निर्मला सीतारमण के इस फैसले से जहां जवानों का हौसला बढ़ेगा वहीं शहीदों के परिजनों में भी देश के लिए जज्बा बढ़ेगा। हैरान करने वाली बात ये है कि महबूबा मुफ्ती अबतक शहीद के परिजनों से नहीं मिली हैं।

सेना प्रमुख भी गए थे शहीद औरंगजेब के घर

इससे पहले सोमवार को सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने औरंगजेब के घर जाकर उनके परिजनों से मुलाकात की। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि उन्होंने शोकाकुल परिवार के साथ लगभग 45 मिनट गुजारे। इस दौरान उन्होंने उन्हें सांत्वना दी और शहीद की बहादुरी की प्रशंसा की, जिसने एक सच्चे सैनिक की तरह मौत को गले लगाया। बयान के मुताबिक सेना प्रमुख ने उनके परिजनों को आश्वासन दिया कि औरंगजेब के कातिलों को उचित सजा दी जाएगी और बहादुर की शहादत का बदला लिया जाएगा।

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अगवा कर आतंकियों ने की थी जवान की हत्या
कश्मीर के पुलवामा में औरंगजेब की निर्मम हत्या कर दी गई थी। ईद का त्यौहार मनाने के लिए अन्य सैनिकों के साथ निजी वाहन से शोपियां जाते समय आतंकवादियों ने उनका रास्ता रोक लिया था। शोपियां जाकर वे दूसरे वाहन से पुंछ स्थित अपने घर के लिए निकलने वाले थे। उनका अपहरण करने वाले आतंकवादियों ने एक वीडियो जारी किया था, जिसमें वे निर्भीकता से यह स्वीकार कर रहे हैं कि वे भारतीय सेना के सैनिक हैं और उन्होंने दक्षिण कश्मीर में आतंकवाद-रोधी गतिविधियों में भाग लिया था।