मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है- दिल्ली में कोरोना मरीजों की देखभाल करने के लिए तैयार होंगे 5000 हेल्थ असिस्टेंट, दी जाएगी 2-2 हफ्ते की ट्रेनिंग, 17 जून से कर सकते हैं आवेदन
नई दिल्ली। कोरोना वायरस ( Coronavirus In India ) की संभावित तीसरी लहर को लेकर केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारें भी सतर्क हैं। यही नहीं राज्य सरकारों ने इससे निपटने के लिए काम करना भी शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में दिल्ली सरकार ने भी कमर कस ली है।
बुधवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ( Arvind Kejriwal ) ने मीडिया से बताचीत में बताया कि दिल्ली में सरकार ने 5000 हेल्थ अस्टिटेंट तैयार करने की एक बहुत महत्त्वाकांक्षी योजना बनाई है। सीएम ने बताया कि ये सभी हेल्थ असिस्टेंट युवा डॉक्टर और नर्सों के निर्देश पर काम करेंगे।
5 हजार युवाओं को मिलेगी 2 हफ्ते की ट्रेनिंग
कोरोना की संभावित तीसरी लहर को लेकर दिल्ली सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। सरकार ने मेडिकल स्टाफ की कमी को ध्यान में रखते हुए 5 हजार हेल्थ असिस्टेंट तैयार करने का प्लान बनाया है। इन सभी हेल्थ असिस्टेंट्स को बेसिक ट्रेनिंग भी दी जाएगी।
सीएम केजरीवाल के मुताबिक 5 हजार युवाओं को 2-2 हफ्ते की ट्रेनिंग दी जाएगी। युवाओं को ये ट्रेनिंग आईपी यूनिवर्सिटी दिलवाएगी। सभी युवाओं को दिल्ली के 9 बड़े मेडिकल इंस्टीट्यूट में बेसिक ट्रेनिंग की सुविधा मिलेगी।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में ऑक्सीजन सिलेंडर, स्टॉरेज की तैयारी अस्पताल में कर रहे हैं, मेडिकल स्टाफ की कमी को ध्यान में रखते हुए 5000 हेल्थ असिस्टेंट तैयार करने का प्लान बनाया है।
ये लोग कर सकते हैं आवेदन
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए जिन 5000 हेल्थ अस्टिटेंट को ट्रेनिंग दी जानी उसके लिए 17 जून से ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। खास बात यह है कि 28 जून से इनकी ट्रेनिंग शुरू होगी और इसके लिए 12वीं कक्षा पास लोग योग्य हैं।
सीएम केजरीवाल ने कहा कि देशभर में कोरोना की तीसरी लहर का डर बना हुआ है। उन्होंने कहा, इंग्लैंड में 45 फीसदी लोग कोरोना वैक्सीन लगवा चुके हैं, बावजूद इसके वहां लगातार कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं।
ऐसे में भारत को पलहे ही सतर्क हो जाना चाहिए। हम तीसरी लहर के लिए तैयारी कर रहे हैं। दिल्ली में दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी महसूस हुई। उन्होंने कहा कि आम दिनों में 150 टन ऑक्सीजन की जरूरत होती थी जबकि दूसरी लहर में 700 टन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी। ऐसे में तीसरी लहर से पहले ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर भी कदम उठाए जा रहे हैं।