फैसले के दौरान कोर्ट ने कहा , ‘यौन शोषण आत्मसम्मान और आत्मविश्वास को ख़त्म कर देता है, किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा की सुरक्षा किसी के सम्मान की क़ीमत पर नहीं की जा सकती है, महिलाओं के पास दशकों बाद भी अपनी शिकायत रखने का अधिकार है, सामाजिक प्रतिष्ठा वाला व्यक्ति भी यौन शोषण कर सकता है।’
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राउज एवेन्यू कोर्ट ने कहा, ‘इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता कि यौन शौषण अक्सर बंद दरवाज़ों के पीछे ही होता है। यौन शोषण की शिकायतें करने के लिए मैकेनिज़्म की कमी है.शोषण की शिकार अधिकतर महिलाएं कलंक लगने और चरित्रहनन के डर से अक्सर आवाज़ भी नहीं उठा पाती हैं। पीड़ित को कई साल तक यह नहीं पता था कि उसके साथ क्या हो रहा है। कई सालों के बाद भी महिला अपने के खिलाफ हुए अपराध के खिलाफ आवाज़ उठा सकती है। महिला को यौन शोषण अपराध के खिलाफ आवाज उठाने पर सजा नहीं दी जा सकती है।’
क्या है मामला?
बता दें कि साल 2018 में मीटू अभियान के दौरान पत्रकार प्रिया रमानी एमजे अकबर के खिलाफ शोषण का आरोप लगाया था। रमानी ने ट्वीट कर कहा था कि 20 साल पहले जब अकबर एक अंग्रेजी अखबार के संपादक हुआ करते थे। तो वह नौकरी के साक्षात्कार के लिए मिलने गई थी।साक्षात्कार के दौरान अकबर ने उनका शोषण किया था।
शोषण का आरोप लगने के बाद अकबर को 17 अक्टूबर 2018 को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ गया था। लेकिन उन्होंने मानी के खिलाफ उनकी छवि खराब करने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी।