रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 2.1 मापी गई। भूकंप का केंद्र सतह से 7 किलोमीटर की गहराई पर था। हालांकि, इससे किसी तरह के जान-माल की नुकसान की कोई खबर सामने नहीं है। भूकंप की वजह से पूरे इलाके में देखते ही देखते अफरा-तफरी मच गई। लोग डरे-सहमे अपने घरों से बाहर सड़कों पर निकल आए।
हाल में कई बार आए हैं भूकंप के झटके
मालूम हो कि बीते कुछ समय में राजधानी दिल्ली में भूकंप के झटके बढ़ गए हैं। पिछले महीने 31 मई को भी दिल्ली में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। रात के करीब 9:54 पर दिल्ली में भूकंप आया था। भूकंप का केंद्र नॉर्थ वेस्ट दिल्ली के रोहिणी इलाक़े में था, जिसकी तीव्रता 2.4 मापी गई थी।
असम में 24 घंटे के अंदर दूसरी बार आया भूकंप, रिक्टर पैमाने में 3.8 मापी गई तीव्रता
भूकंप का केंद्र ज़मीन के 8 किलोमीटर अंदर था। इस वजह से जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ था। भूकंप के झटके महसूस करने के बाद लोग दहशत में आ गए थे और अपने-अपने घरों से निकल कर सड़कों पर आ गए थे।
इससे पहले इसी साल 13 फरवरी को भी दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) समेत पूरे उत्तर भारत में भूकंप के तेज झके महसूस किए गए थे। रात के करीब 10:31 बजे भूकंप के झटके आए थे। भूकंप के झटके दिल्ली-एनसीआर के अलावा पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल में भी महसूस किए गए थे।
असम-मणिपुर में भी भूकंप के झटके
बता दें कि रविवार को दिल्ली में भूकंप आने से पहले उत्तर पूर्वी हिस्से में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। इनकी तीव्रता 3.1 से 3.6 रिएक्टर स्केल के बीच मापी गई। भूकंप के झटके मणिपुर और अरुणाचल में महसूस किए गए। यहां पर भी किसी प्रकार के जानमाल के नुकसान की कोई खबर सामने नहीं आई।
मालूम हो कि दिल्ली-एनसीआर में 10 अक्तूबर 1956 में बुलंदर शहर में सबसे बड़ा भूकंप आया था। तब भूकंप की तीव्रता 6.7 मापी गई थी। वहीं मुरादाबाद में 1966 में 5.8 तीव्रता की भूकंप आया था।