
नई दिल्ली: 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ रेप करने वाले दोषियों को फांसी देने वाले प्रावधान पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सवाल खड़े किए हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि बिना रिसर्च किए आनन फानन में पॉक्सो एक्ट में संशोधन कर दिया गया है। गौरतलब मोदी सरकार ने प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल अफेंसेस (पॉक्सो) एक्ट में संसोधन कर बच्ची से रेप के दोषी को फांसी की सजा के प्रावधान पर मुहर लगा दी। दिल्ली हाईकोर्ट की बैंच ने कहा कि सरकार ने रेप मामलों पर कानून में बदलाव देशभर में हुए विरोध प्रदर्शन, मीडिया में बनी सुर्खियां के चलते किए हैं। बेंच ने कहा कि कानून बदलने से पहले किसी तरह की रिसर्च नहीं की । जिसके चलते इसमें कई कमियां दिखती हैं।
कानून में बदलाव से रेप को रोकना संभव नहीं
हाईकोर्ट की एक्टिंग चीफ जस्टिस गीता मित्तल ने याचिकाकर्ता मधु किश्वर की रेप मामलों में सख्त कानूनों को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि कानून से रेप को नहीं रोका जा सकता है। चीफ जस्टिस गीता मित्तल ने कहा कि कानून में जो संशोधन हुआ है, उसमें ना तो रेप पीड़ित की मदद के लिए कुछ रखा गया है और ना ही मासूमों को शिक्षित करने के लिए कोई विकल्प बताए गए हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ कानूनों में बदलाव से रेप को रोक पाना संभव नहीं है।
राष्ट्रपति दे चुके हैं अध्यादेश को मंजूरी
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पॉक्सो एक्ट में संशोधन पर केंद्र सरकार के अध्यादेश पर मुहर लगा दी है।
गौरतलब है कि शनिवार को पीएम आवास पर मोदी कैबिनेट ने 12 साल से कम उम्र की लड़कियों से रेप के दोषियों को फांसी की सजा देने पर मंजूरी दे दी थी। जिसके बाद ये एक्ट लागू हो गया है। बताते चले कि पॉक्सो कानून में पहले बच्ची से रेप पर उम्रकैद की सजा थी।
Published on:
23 Apr 2018 07:02 pm
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