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शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाने को लेकर Delhi Court का बड़ा फैसला, जानिए कौनसा मुकदमा नहीं होगा दर्ज

शादी का वादा कर 'सेक्स' करने पर Delhi High Court का बड़ा फैसला कोर्ट ने कहा- शारीरिक संबंध बनाना हर बार रेप की श्रेणी में नहीं आता

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Delhi court Big Decision

दिल्ली कोर्ट का बड़ा फैसला

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हाई कोर्ट ( Delhi High Court ) ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। इस फैसले के तहत शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाना हर बार रेप की श्रेणी में नहीं माना जाएगा। दरअसल रेप केस की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है।

कोर्ट ने कहा कि आपसी सहमति से लंबे समय तक शारीरिक संबंध बनाना रेप की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। इसके साथ ही दिल्ली हाई कोर्ट ने ये भी बताया इस मामले में कौनसा मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता है।

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नहीं दर्ज हो सकता है रेप का मुकादमा
दिल्ली उच्च न्यायालय के मुताबिक लंबे समय तक शारीरिक संबंध बनाना और फिर बाद में शादी के वादे से मुकरने के आधार पर रेप का मुकदमा दर्ज नहीं कराया जा सकता है। आपको बता दें कि हाई कोर्ट ने ऐसे ही कथित दुष्कर्म के मामले में आरोपी को बरी करने के लिए निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की है।

अपील करने में हुई 640 दिन की देरी
हाईकोर्ट के जज विभु बाखरू ने निचली अदालत के खिलाफ की अपील को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि महिला और आरोपी दोनों ने ही लंबे समय तक आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाए हैं। ऐसे में इस मामले में रेप का केस नहीं बनता है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि महिला ने निचली अदालत के फैसले के आवेदन दाखिल करने में भी 640 दिनों की देरी कर दी है।

फैसले में हाईकोर्ट ने ये कहा
अपने फैसले में हाई कोर्ट ने कहा है कि शारीरिक संबंध बनाने के लिए शादी का वादा करने का प्रलोभन देना और पीड़िता के इस तरह के झांसे में आना समझ में आ सकता है, लेकिन शादी का वादा एक लंबे और अनिश्चित समय की अवधि में शारीरिक संबंध के लिए सरंक्षण नहीं दिया जा सकता।

यही नहीं कोर्ट ने ये भी कहा कि महिला की शिकायत के साथ-साथ उसकी गवाही से भी साफ जाहिर होता है कि आरोपी के साथ उसके संबंध सहमति से बने थे।

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ये थी महिला की शिकायत
महिला की शिकायत के मुताबिक उसने 2008 में आरोपी के साथ शारीरिक संबंध बनाए थे और इसके तीन या चार माह बाद उसने उससे शादी करने का वादा किया। इसके बाद वह लड़के के साथ रहने लगी थी। इस दौरान दो बार गर्भवती हुई। लेकिन आरोपी के बच्चे की चाहत नहीं होने के चलते दवाई खाकर गर्भपात करवा दिया।
साक्ष्यों की कमी

कोर्ट के मुताबिक महिला को यह भी याद नहीं है कि वह कब गर्भवती हुई और कब गर्भपात कराया। इसके साथ ही साक्ष्यों की कमी और अन्य पहलुओं को देखते हुए उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ महिला की अपील को खारिज कर दिया।


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