
Delhi High Court dismissed Chirag Paswan's Petition, Challenged Decision To Make Pashupati Paras A Minister
दिल्ली। लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के भीतर चल रहे सियासी झगड़े के बीच शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट से चिराग पासवान को एक बड़ा झटका लगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने चिराग पासवान की याचिका को खारिज कर दी। कोर्ट ने सीधे-सीधे कहा कि आपकी याचिका बिना मेरिट की है।
दरअसल, चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति पारस को मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने और मंत्री बनाए जाने के बाद कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और लोकसभा स्पीकर ओम बिडला के फैसले को चुनौती दी। अपने याचिका में चिराग ने कहा था कि पार्टी विरोधी गतिविधियों और शीर्ष नेतृत्व को धेाखा देने के कारण राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते उन्होंने पशुपति कुमार पारस को पार्टी से निकाल दिया है।
याचिका में कहा गया कि पार्टी से निकाले जाने के कारण पशुपति पारस अब एलजेपी के सदस्य नहीं हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कुल 75 सदस्य हैं और इनमें से 66 सदस्य हमारे (चिराग गुट) साथ हैं। सभी ने इसे लेकर हलफनामा दिया है। चिराग ने कहा कि उनके चाचा के पास कोई ठोस आधार नहीं है। जब वे पार्टी (एलजेपी) में है ही नहीं तो उन्हें मंत्री कैसे बनाया जा सकता है? इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट कहा कि आपकी याचिका मेरिट पर नहीं है। इसलिए इसे खारिज किया जाता है।
मालूम हो कि बुधवार को मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ, जिसमें एलजेपी से पशुपति कुमार पारस को मंत्री बनाया गया और उन्हें खाद्य प्रसंस्करण विभाग की जिम्मेदारी दी गई। मोदी सरकार ने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने पशुपति पारस को एलजेपी के संसदीय दल का नेता के तौर पर मान्यता दी है।
कोर्ट में क्या हुआ?
चिराग की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान स्पीकर ओम बिडला की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से बात की है। वे इस पूरे मामले को देख रहे हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला भी दिया।
इस पर कोर्ट ने कहा कि जब स्पीकर पूरे मामले को देख रहे हैं तो ऐसे में हम कोई फैसला नहीं दे सकते हैं और इस याचिका पर सुनवाई का कोई आधार नहीं है। कोर्ट की इस टिप्पणी पर चिराग के वकील ने कोई विरोध नहीं जताया।
वहीं पशुपति पारस की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि जिस वक्त पारस ने स्पीकर को पत्र दिया था उस समय वे पार्टी के चीफ व्हिप थे और फिर बाद में पार्टी के लीडर चुने गए। इसपर कोर्ट ने कहा कि ऐसे में आपको चुनाव आयोग जाना चाहिए.. अदालत नहीं आना चाहिए.. कोर्ट ने कहा कि यह याचिका मेरिट पर नहीं है।
भतीजे को नहीं दूंगा दर्द: पशुपति पारस
चिराग पासवान की याचिका पर चाचा पशुपति पारस ने कहा कि वे कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। पारस ने कहा, ''रामविलास पासवान की संपत्ति पर चिराग पासवान का अधिकार है.. वह मेरा भतीजा है.. मैं उसे दर्द नहीं दूंगा.. लेकिन वह रास्ते से भटक गया है.. हर कोई उनके खिलाफ गया है।''
Updated on:
09 Jul 2021 11:43 pm
Published on:
09 Jul 2021 06:57 pm
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