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नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए भारतीय वायुसेना को फटकार लगाई है। शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि वायुसेना कतई ना सोचें की वह कानून से ऊपर है। आपको बता दें कि हाईकोर्ट एक वायुसेना कर्मी को दो महीने तक मनोवैज्ञानिक वार्ड में रखे जाने के मामले की सुनवाई कर रहा था। इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई, जिसकी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने वायुसेना को फटकार लगाई।
वायुसेना को भी कानून के हिसाब से चलना होगा- हाईकोर्ट
सुनवाई के दौरान जस्टिस एस. मुरलीधर और विनोद गोयल की बेंच ने कहा कि आपको (भारतीय वायुसेना) कानून के हिसाब से ही चलना होगा। अपने प्रोटोकॉल को कानून के मुताबिक तय कीजिए। आपको मानसिक स्वास्थ्य एक्ट के तहत निर्धारित नियमों को देखना चहिए। हालांकि कोर्ट ने अभी इस मामले में कोई फैसला नहीं सुनाया है और सुनवाई को 17 अगस्त के लिए टाल दिया है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिए वायुसेना को निर्देश
बेंच ने कहा कि आपको (भारतीय वायुसेना) कानून के हिसाब से ही चलना होगा। आप अपने प्रोटोकाल को कानून के हिसाब से तय कीजिए। आपको मानसिक स्वास्थ्य एक्ट के तहत निर्धारित नियमों को देखना चहिए। केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने भारतीय वायुसेना को सुझाव दिया कि वह सेना में बढ़ते तनाव को कम करने के लिए और इस तरह के मामलों से निपटने के लिए अपने नियमों को देखे और उसका पालन करें और उसमें बदलाव करे। केस के बारे में कोर्ट ने वायुसेना को निर्देश दिया कि वह तत्काल वायुसेना कर्मचारी को उनके पिता के साथ जा की अनुमति दें। अदालत ने वायुसेना को निर्देश दिया है कि वह कर्मचारी से जुड़ी तमाम मेडिकल रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश करें।
क्या है मामला
आपको बता दें, 30 वर्षीय कर्मचारी के पिता ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि उनकी बहू की शिकायत पर उनके बेटे को सेना बेस अस्पताल में अवैध रूप से रखा गया है। इसी को लेकर कोर्ट में सुनवाई हो रही थी।
Updated on:
14 Jul 2018 08:05 am
Published on:
14 Jul 2018 07:49 am
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