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स्कूल ने 7 बच्चों को थमाया ट्रांसफर सर्टिफिकेट, कहा-इनके शरीर से आती है बदबू

ऐसे सात बच्चों का नाम काट दिया गया, जिनकी ड्रेस मैली और शरीर से बदबू आ रही थी।

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Shweta Singh

Apr 13, 2018

Government school students

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के एक स्कूल ने स्वच्छ भारत मिशन को इतनी गंभीरता से ले लिया कि गंदे यूनिफार्म पहन कर आए छात्रों को ही स्कूल से बाहर का रास्ता दिखा दिया। ये निष्कासन एक दिन के लिए नहीं, बल्कि ऐसे सात बच्चों का नाम ही काट दिया गया है, जिनकी ड्रेस मैली और शरीर से बदबू आ रही थी।

एक साल के अंदर सात बच्चों को निकाला
एनडीएमसी इलाके के एनपी को-एजुकेशन सेकंडरी स्कूल ने ऐसे सात छात्रों को ट्रांसफर सर्टिफिकेट थमाकर स्कूल से निकाल दिया। इनमें से एक बच्चे को 4 महीने पहले, और तीन बच्चो को एक साल पहले स्कूल से निष्काषित किया गया था। इसके अलावा स्कूल टीचरों पर तीन अन्य छात्रों को भी ऐसी ही दलीलें देकर स्कूल न आने की चेतवानी देने का आरोप है।

इनकी वजह से हुआ मामले का खुलासा
जानकारी के मुताबिक यह मामला प्रभात तारा एनजीओ की पदाधिकारी सुनीता राय ने उठाया था। उनका कहना है कि स्कूल ने इस मामूली सी बात का हवाला देकर एक नहीं, बल्कि कई बच्चों को स्कूल से निकाल दिया। सुनीता का कहना है कि स्कूल प्रशासन ऐसे गरीब बच्चों के अभिभावकों को स्कूल परिसर में घुसने तक नहीं देता।

स्कूल प्रशासन पर अभिभवकों के मिन्नतों का भी नहीं हुआ असर
स्कूल से निकाले गए इन बच्चों के संरक्षकों का आरोप है कि बच्चों को निकालने के बाद उन्होंने काफी मिन्नतें की लेकिन स्कूल प्रशासन के कान पर जूं नहीं रेंगी। प्रशासन ने लाख प्रार्थनाओं के बाद भी बच्चों को स्कूल से निकालने का अपना फैसला वापस नहीं लिया। इस मामले में एक बच्चे की दादी जिनका नाम राजवंती है, उनका कहना है कि वो सरोजिनी नगर में पटरी पर खिलौने बेचकर अपना गुजर-बसर करती हैं। बेटे की मौत के बाद भी बच्चों की शिक्षा न रुके इसलिए उन्होंने अपने पोती-पोते को पास के स्कूल में दाखिला दिलाया था। लेकिन स्कूल ने इस शिकायत के साथ कि बच्चा नहाता नहीं है और इसलिए उसके शरीर से बदबू आती है, स्कूल से निकल दिया। दादी ने अपने गरीब और बच्चों के अनाथ होने की भी दुहाई दी, लेकिन स्कूल वालों का दिल नहीं पसीजा। और बच्चों को ट्रांसफर सर्टिफिकेट पकड़ा दिया गया। राजवंती के अलावा ऐसी ही शिकायतें अन्य बच्चों के अभिभावकों की भी हैं। गौरतलब है कि निकाले गए बच्चों को अभी तक कहीं भी एडमिशन नहीं मिल पाया है।