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Delhi Violence: सुप्रीम कोर्ट पहुंची पुलिस, तीनों आरोपियों को जमानत देने के हाईकोर्ट के फैसले को दी चुनौती

locationनई दिल्लीPublished: Jun 16, 2021 09:21:31 pm

Submitted by:

Anil Kumar

दिल्ली पुलिस ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के मामले में देवांगना कलिता, नताशा नरवाल और आसिफ इकबाल तन्हा को जमानत देने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

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Delhi Violence: Police challenged order of High Court to grant bail to accused In Supreme Court

नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच पिछले साल उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसले के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

बीते दिन मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आरोपी देवांगना कलिता, नताशा नरवाल और आसिफ इकबाल तन्हा को जमानत दे दी थी। बता दें कि इस सांप्रदायिक हिंसा में 53 लोग मारे गए थे और 400 से ज्यादा घायल हुए थे।

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दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट द्वारा अपनाए गए दृष्टिकोण पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका में अपील की गई है कि तीन छात्र, तन्हा, कलिता और नरवाल को जमानत देने वाले तीन फैसले बिना किसी आधार के हैं और आरोप पत्र (चार्जशीट) में एकत्रित और विस्तृत सबूतों की तुलना में सोशल मीडिया नैरेटिव पर आधारित प्रतीत होते हैं।

पुलिस ने अपनी दलील में कहा है, दुर्भाग्य से रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्य और विस्तृत मौखिक और लिखित प्रस्तुतीकरण के विपरीत, हाईकोर्ट ने पूर्व-कल्पित और पूरी तरह से गलत भ्रम पर मामले को हाथ में लिया है।

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हाईकोर्ट पर सबूतों की अनदेखी करने का आरोप

दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया कि हाईकोर्ट ने सबूतों और बयानों को पूरी तरह से खो दिया है और इसने उन सबूतों को भी खारिज कर दिया है, जिससे स्पष्ट रूप से तीन आरोपियों द्वारा अन्य सह-साजिशकर्ताओं के साथ बड़े पैमाने पर दंगों की एक भयावह साजिश रची गई थी।

दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत दिल्ली हिंसा मामले में नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल तन्हा को जमानत दे दी थी। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जे. भंभानी की पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया, यूएपीए की धारा 15, 17 या 18 के तहत कोई भी अपराध तीनों के खिलाफ वर्तमान मामले में रिकॉर्ड की गई सामग्री के आधार पर नहीं बनता है।

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अदालत ने कई तथ्यों को ध्यान में रखते हुए जमानत मंजूर करते हुए कहा कि तीनों को जमानत 50,000 रुपये के निजी मुचलके और दो स्थानीय जमानतदारों के अधीन है। इसके अलावा जमानत के तौर पर शामिल शर्तों में तीनों को अपने पासपोर्ट जमा कराने होंगे और ऐसी किसी गतिविधियों में शामिल नहीं होना होगा, जिससे मामले में बाधा आ सकती है।

UAPA के तहत पुलिस ने आरोपियों को किया था गिरफ्तार

मालूम हो कि तन्हा जामिया मिल्लिया इस्लामिया से स्नातक की छात्रा है। उसे मई 2020 में यूएपीए के तहत दिल्ली हिंसा के मामले में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह लगातार हिरासत में है। नरवाल और कलिता जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पीएचडी स्कॉलर हैं, जो पिंजरा तोड़ आंदोलन से जुड़ीं हुईं हैं। वे मई 2020 से हिरासत में हैं।

यह मामला दिल्ली पुलिस की ओर से उस कथित साजिश की जांच से संबंधित है, जिसके कारण फरवरी 2020 में दिल्ली में भयानक हिंसा भड़क उठी थी। पुलिस के अनुसार, तीनों आरोपियों ने अभूतपूर्व पैमाने पर अन्य आरोपियों के साथ मिलकर ऐसा व्यवधान पैदा करने की साजिश रची, जिससे कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगाड़ी जा सके।

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