scriptदिल्ली हिंसाः मुस्लिम बहुल इलाके का अकेला ब्राह्मण परिवार, घर छोड़कर जाने को नहीं है तैयार | Delhi Violence: Single Brahmin family in Mustafabad not going and feel safe amidst Muslims | Patrika News

दिल्ली हिंसाः मुस्लिम बहुल इलाके का अकेला ब्राह्मण परिवार, घर छोड़कर जाने को नहीं है तैयार

locationनई दिल्लीPublished: Feb 28, 2020 07:14:06 pm

सांप्रदायिक दंगे की आग में दहली दिल्ली की दिल छू लेने वाली दास्तान।
मुस्लिम बहुल इलाके के इकलौते हिंदू परिवार को पड़ोसियों पर पूरा भरोसा।
पड़ोसियों ने घर के बाहर पहरा देकर की परिवार की रक्षा और दिया सुरक्षा का भरोसा।

ram sevak sharma, a single hindu in new mustafabad

न्यू मुस्तफाबाद इलाके के इकलौते ब्राह्मण राम सेवक शर्मा

नई दिल्ली। जिस वक्त उत्तर-पूर्वी दिल्ली के तमाम इलाके सांप्रदायिक हिंसा की आग में झुलस रहे थे, मुस्लिम बहुल आबादी वाले न्यू मुस्तफाबाद में रहने वाले राम सेवक शर्मा का कहना था कि यह स्थान छोड़कर किसी सुरक्षित ठिकाने के लिए वह कहीं नहीं जाएंगे। शर्मा का इकलौता परिवार न्यू मुस्तफाबाद के नेहरू विहार की गली नंबर 15 में रहता है।
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शर्मा दावा करते हैं कि जिस वक्त यह इलाका सांप्रदायिकता की आग में जल रहा था और लोग एक-दूसरे के जान-अंजान लोगों पर हमला कर जान लेने पर उतारू थे, उन्हें एक बार भी ऐसा नहीं लगा कि यहां पर उन्हें या उनके परिवार को कोई नुकसान या खतरा हो सकता है।
लेकिन शर्मा का मानना है कि जिस जगह वह 35 साल से एक साथ रह रहे हैं, एक-दूसरे के खुशी-गम को बांटते हैं और भरपूर आपसी विश्वास व सम्मान है, तो इस जहरीली हवा में यह भरोसा यूं हवा नहीं हो सकता। उनका यह भरोसा अभी भी है।
https://twitter.com/hashtag/NortheastDelhi?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw
जब तीन-चार दिनों तक गुस्साई भीड़ बाहर की सड़कों पर इंसान को देखते ही जान से मारने के लिए घूम रही थी, अपने मुसलमान पड़ोसियों के बीच रहने वाले शर्मा अपने घर में खुद को पूरी तरह सुरक्षित महसूस कर रहे थे। मुस्लिम पड़ोसियों ने उनके पास पहुंचकर उन्हें भरोसा दिलाया कि उनका एक बाल भी बांका नहीं होने दिया जाएगा।
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मीडिया से बातचीत में शर्मा ने बताया, “हम हिंदू या मुस्लिम के रूप में नहीं सोचते हैं। हम यहां पर कम से कम 35 वर्ष से रह रहे हैं, लेकिन आजतक एक बार भी हमारे साथ कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। हमें कभी नहीं लगता कि हम अलग हैं या इस मुस्लिम बहुल इलाके में ‘गैर’ हैं। इस पूरे इलाके में बमुश्किल दो या तीन हिंदू परिवार होंगे।”
जिस वक्त दंगे भड़के, तब का अनुभव बताते हुए शर्मा कहते हैं, “हमारे मुस्लिम पड़ोसी हमारे घर आए और भरोसा दिलाया कि चिंता मत करो। उन्होंने मुझसे कहा कि चैन से सो जाइए क्योंकि वह हमारे घर के बाहर खड़े होकर पहरा देंगे।”
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जब शर्मा से पूछा गया कि क्या इस भयावह दंगों के दौरान उन्होंने किसी सुरक्षित स्थान पर जाने के बारे में सोचा। वो बोले, “कभी नहीं। हम कहीं भी नहीं जा रहे हैं।” इसके साथ ही उनके बेटे मुकेश ने कहा कि उसके सभी दोस्त इसी इलाके में रहते हैं।
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मुकेश ने बताया, “मेरी सभी मुस्लिम दोस्त जो मेरे साथ पले-बढ़े हैं, हमारी मदद कर रहे हैं और भरोसा दे रहे हैं कि वे हमारे साथ हैं। अगर मुझे कभी जरा सा भी डर लगा होता तो मैं इस जगह को छोड़ देता और आपसे बात नहीं करता।”
राम सेवक ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि हमारे बीच कुछ भी बदला है। हम सफभी एक-दूसरे से हमेशा की ही तरह बात कर रहे हैं। कोई अविश्वास नहीं है।”

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इससे कुछ ही मीटर दूर जली-टूटी-फूटी दुकानें एक ऐसी खौफनाक दास्तान बयां कर रही है, जिसे शायद ही दिल्ली ने कभी अपनी सड़कों पर देखा हो।
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गौरतलब है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में चार दिनों तक भड़की सांप्रदायिक हिंसा में कम से कम 42 लोगों की मौत हो गई और 200 से ज्यादा घायल हो गए। इन दंगों में करोड़ों रुपये की संपत्ति नष्ट हो गई है।
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