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राम मंदिर से चर्चा में आए थे ‘कार सेवक’, जानिए इसका मतलब और पहचान

जानिए कार सेवा का मतलब।

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राम मंदिर से चर्चा में आए थे 'कार सेवक', जानिए इसका मतलब और पहचान

नई दिल्ली। देशभर में एक बार फिर राम मंदिर का मुद्दा गरमाया हुआ है। नेता, धर्म रक्षक, धार्मिक संस्थाएं सभी इस पर राजनीति करने में लगे हैं। किसी का कहना है कि जल्द से जल्द अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो, तो कोई इसके खिलाफ है। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट में यह मामला है। हिन्दू संगठन कोर्ट के फैसले का इंतजार नहीं करना चाहते और मंदिर निर्माण को लेकर सरकार पर जल्द से जल्द अध्यादेश लाने का दबाव बना रहे हैं। हालांकि, यह आने वाला समय ही तय करेगा कि अयोध्या में कब, कहां और कैसे राम मंदिर का निर्माण होगा या फिर नहीं होगा। लेकिन, राम मंदिर से एक शब्द का काफी पुराना नाता है जिसका नाम है 'कार सेवक'। यह शब्द उन दिनों से प्रचलित में है जब अयोध्या में बाबरी विध्वंस हुआ था। लेकिन, क्या आप इस शब्द का मतलब जानते हैं या फिर कौन होते हैं कार सेवक। आप लोगों में से कुछ को इस बारे में जानकारी होगी और शायद कुछ लोगों को मालूम न हो। तो चलिए, आज हम आपको बताते कार सेवक से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।

क्या होता है कार सेवक का मतलब?

भारतीय इतिहास में 6 दिसंबर का दिन अहम है। 1992 में इसी दिन बाबरी मस्जिद ढांचा गिराया गया था। उस दिन के बाद से 'कारसेवक' शब्द जबरदस्त चर्चा में रहा। कहा गया कि हजारों कारसेवकों ने राममंदिर आंदोलन के तहत इस घटनाक्रम को अंजाम दिया था। कार सेवक मूलरूप से संस्कृत शब्द है। इसमें 'कार' का मतलब होता है कर यानी हाथ, और 'सेवक' से तात्पर्य है सेवा करने वाला। कार सेवा के ज्यादातर मामलों में लोग निःस्वार्थ भाव से सेवाएं देते हैं। धार्मिक मामलों में लोग ऐसे सेवा ज्यादा करते हैं। अंग्रेजी में इसके लिए वोलिंटियर शब्द का प्रयोग किया गया है। इसका मतलब यह हुआ कि जिन लोगों ने नि:स्वार्थ भाव से सेवा की और धर्म की रक्षा के लिए कदम उठाया वो कार सेवक कहलाते हैं।

जलियावाला बाग के दौरान भी चर्चा में आया था यह शब्द

कारसेवा शब्द सिख धर्म के ग्रंथों में भी कई स्थान पर आया है। बताया जाता है कि यह सिख धर्म की ही शिक्षा है। उधमसिंह ने जलियावाला बाग के दौरान कार सेवा की थी। स्वर्ण मंदिर का निर्माण भी कार सेवा से ही हुआ था।


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