
सौरभ शर्मा
नई दिल्ली: देश की आजादी में अपनी जान न्योछावर करने वालों में शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू ही नहीं थे। इनकी टीम में एक और मेंबर था। जिसने अपने साथियों से कम कुर्बानी नहीं दी है। जी हां, हम बात कर रहे हैं अश्फाक उल्ला खां साहब की। जो देश के लिए मर मिटने वालों में तो थे ही साथ ही गजब के शायर भी थे। फांसी से पहले जब उनसे उनकी अंतिम इच्छा पूछी गर्इ तो उन्होंने कहा था, 'कुछ और आरजू नहीं है, आरजू तो ये है, रख दे कोर्इ जरा सी, खाके वतन कफन में। ऐसी आरजू रखने वाले देश के सच्चे सेनानायक के बारे में बात की उनके पोते अश्फाक उल्ला खां से..
नहीं बन पाया वो सपनों का भारत
अश्फाक जी कहते हैं कि आजादी का जो ख्वाब था जो उन्होंने अपने जेहन में संजोया था। वो काफी खूबसूरत था। उन्होंने हिंदु-मुस्लिम की एकता के बारे में अपनी डायरी में लिखा था कि 'मैं मुल्क की वो आजादी चाहता हूं जिसमें किसान और मजदूर राजा के सामने कुर्सी पर बैठकर आमने सामने बात कर सके। सभी की बराबरी हो। उन्होंने और उनके सभी साथियों ने जिस आजाद देश की परिकल्पना की थी वो आजादी के 70 साल के बाद भी पूरी नहीं हो सकी। देश का नौजवान देश के उन शहीदों को भूलता जा रहा है। जिन्होंने देश की खातिर अपनी जान कुर्बान कर दी।
अश्फाक जी की वसीयत
अश्फाक जी के पौते उनकी वसीयत की दिलचस्प कहानी बताते हैं। जब उनकी फांसी को करीब दो हफ्ते बचे थे तो परिवार के सभी उनसे जेल में मिलने पहुंचे। पता चला कि वो नहाने गए हैं। जब वापस लौटे तो सब उन्हें देखकर रोने लगे। उन्होंने सभी को चुप कराते हुए अपनी ही सेल में बंद दो कैदियों को दिखाया। कहा कि ये दोनों एक कत्ल की जुर्म पर फांसी चढ़ने जा रहे हैं। मैं देश की आजादी के लिए। आप सभी को इस बात पर गर्व होना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि घर में मेरी कमी महसूस ना हो, इसलिए एक बच्चे का नाम अश्फाक रखा जाए। इसके लिए उन्होंने वसीयत भी कराई। जब उनका भतीजा 12 साल का था। उनकी फांसी के बाद भतीजे का भी इंतकाल हो गया। फिर मेरे पिताजी का नाम रखने की बात सामने र्इ। लेकिन अश्फाक जी माता जी जिंदा थी। नाम इसलिए नहीं रखा गया कि अश्फाक नाम सामने आएगा तो उनकी माता जी को तकलीफ होगी। जब मैं पैदा हुआ तो उनकी वसीयत के अनुसार मेरा नाम अश्फाक रखा गया।
तो बिस्मिल को अश्फाक का जवाब
बिस्मिल जी कहते थे कि
शायद ये दर्द मेरे साथ जाएगा
न जाने कब मुल्क आजाद कहलाएगा
फिर आउंगा फिर आउंगा
ऐ भारत मां तुझे आजाद कराऊंगा
इसके जवाब में अश्फाक जी कहा
बिस्मिल हिंदू हैं तो कहते हैं फिर आऊंगा फिर आऊंगा
ऐ भारत मां तुझे आजाद कराऊंगा
जी चाहता है मैं भी कह दूं
पर मजहब से बंध जाता हूं
मुसलमान हूं पुनर्जनम की बात नहीं कर पाता हूं
हां, खुदा अगर कहीं मिल गया तो झोली फैला दूंगा
जन्नत के बदले दूसरा जन्म ही मांगूगा
फिर आऊंगा फिर आऊंगा
ऐ भारत मां तुझे आजाद कराऊंगा।
Updated on:
13 Aug 2017 07:11 pm
Published on:
13 Aug 2017 07:00 pm
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