
Rajnath Singh ने अचानक तेहरान की यात्रा ने चीन को चौंकाया।
नई दिल्ली। लद्दाख की गलवान घाटी में हिंसक घटना और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय सेना की कार्रवाई से पूरी दुनिया को मोदी सरकार ने चौंकाने का काम किया है। वहीं चीन को सख्त संदेश भी दिया है कि वो सीमा पर जारी तनाव को लेकर मुगालते में न रहे। इस बीच मॉस्को में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अचानक तेहरान यात्रा ने ड्रैगन की बेचैनी बढ़ गई है।
चीन को सख्त संदेश
चीन की बेचैनी इसलिए बढ़ गई है कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में चीनी रक्षामंत्री से मुलाकात के बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ( Rajnath Singh ) की अचानक तेहरान जाने का कार्यक्रम पहले से तय नहीं था। भारतीय रक्षा मंत्री की ये तेहरान यात्रा अचानक हुई है। भारत ने ऐसा कर चीन को बड़ा कूटनीति संदेश दिया है।
आज ईरान के रक्षा मंत्री से मिलेंगे राजनाथ सिंह
जानकारी के मुताबिक मॉस्को में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के बाद शनिवार को राजनाथ सिंह ( Rajnath Singh ) को भारत वापस लौटने का कार्यक्रम था लेकिन उन्होंने तीन देशों के अपने समकक्षों से मिलने के लिए अपनी यात्रा को आगे बढ़ा दिया। इतन ही नहीं राजनाथ सिंह इसके बाद भारत वापस लौटने की बजाय मॉस्को से सीधे तेहरान चले गए। तेहरान में आज राजनाथ सिंह ईरान के रक्षा मंत्री ब्रिगेडियर जनरल अमीर हातमी से मिलेंगे।
बीजिंग की बढ़ी परेशानी
माना जा रहा है कि राजनाथ की इस यात्रा से बीजिंग की परेशानी बढ़ गई है। ऐसा इसलिए कि दक्षिण चीन सागर और पूर्वी लद्दाख में भारत के साथ तनाव के बाद चीन चारों तरफ से घिर गया है। इस समय उसे सबसे ज्यादा सहयोग की उम्मीद रूस और ईरान से है। अमरीका के साथ ईरान के तल्खी की वजह के बीच चीन ने उसे काफी सहयोग किया और घातक हथियार मुहैया कराए हैं।
इसके साथ ही 400 बिलियन डॉलर निवेश का भी करार दोनों के बीच हुआ है। इसके बावजूद राजनाथ के दौरे से चीन परेशान है। इसकी वजह ईरान और भारत के बीच संबंध सदियों से बेहतर होना है।
चीन की इस महत्वाकांक्षी योजना को झटका देने की तैयारी
बताया जा रहा है कि पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट के जवाब में भारत ईरान के चाबहार पोर्ट को तेजी से विकसित कर न केवल अपनी सामरिक शक्ति को बढ़ाएगा, बल्कि चीन के रिंग ऑफ पर्ल्स की नीति को झटका भी देगा। अगर ऐसा हुआ तो पाकिस्तान का व्यापारिक घाटा भी बढ़ेगा और ग्वादर पोर्ट के जरिए भारत को हिंद महासागर में नियंत्रित करने की चीन की नीति पर विफल होगी। इसका एक असर यह भी होगा कि मध्य एशिया के अधिकतर देश पाकिस्तान के ग्वादर को छोड़कर ईरान के चाबहार का उपयोग करने पर जोर देंगे। यह चीन के लिए काफी नुकसानदेह साबित होगा।
पाकिस्तान को चोट देने की तैयारी
दूसरी तरफ यह है कि चीन भारत को सीमा विवाद को लेकर तनाव में दो फ्रंटों पर घेरना चाहता है। इसके लिए चीन ने पाकिस्तान को साध रखा है और ईरान को अपने इस मुहिम में शामिल करने की रणनीति पर काम कर रहा है। इस बात को ध्यान में रखते हुए भारत ने भी कमर कस ली है। अब भारत ईरान को साधकर पाकिस्तान और चीन को तगड़ी चोट देने की तैयारी में है।
व्यापार घाटा होगा कम
फिर भारत ईरान को अपने पक्ष में खड़ा कर पाकिस्तान को बड़ा झटका दे सकता है। वैसे भी कट्टर शिया देश होने के कारण पाकिस्तान और ईरान के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं। इस बीच भारत ने ईरान के साथ चाबहार पोर्ट पर काम कर भारत अपना व्यापार अफगानिस्तान और ईरान से कई गुना बढ़ा चुका है।
अब भारत की नजर इस बंदरगाह के जरिए रूस, तजकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजकिस्तान और उजेबकिस्तान से अपने व्यापार को बढ़ाना है। चाबहार के रास्ते हथियारों की खरीद के कारण रूस से बढ़ रहे व्यापार घाटे को भी कम करने में भारत को मदद मिल सकती है।
Updated on:
06 Sept 2020 01:24 pm
Published on:
06 Sept 2020 09:40 am
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