समिति की रिपोर्ट बताती है कि 20,000 वर्ग मीटर से ऊपर के निर्माण स्थलों और जिन्हें पर्यावरण मंजूरी की आवश्यकता है, उन्हें दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) के पास एक बैंक गारंटी जमा करनी होगी जो परियोजना लागत का 1 प्रतिशत होगी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बैंक गारंटी वाला नियम चल रही परियोजनाओं पर भी लागू होना चाहिए।
यदि निकटतम सतत परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन पर PM10 या PM2.5 आंकड़े के 25 प्रतिशत से अधिक पाया जाता है, तो परियोजना प्रमोटर को सतर्क किया जाएगा और कार्रवाई करने के लिए तीन घंटे का समय दिया जाएगा। यदि वे ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो बैंक गारंटी का 10 प्रतिशत या न्यूनतम रु.1 लाख जुर्माना के रूप में लगाया जाएगा। पहली चेतावनी के 12 घंटे बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर बैंक गारंटी का 20 प्रतिशत या रु. 3 लाख जुर्माना के रूप में लगाया जाएगा। यदि यह 24 घंटे से अधिक समय तक जारी रहता है, तो उन्हें साइट पर गतिविधि बंद करने का आदेश दिया जाएगा और डीपीसीसी के कर्मचारी यह सुनिश्चित करने के लिए साइट का दौरा करेंगे कि शमन के उपाय किए गए हैं या नहीं, जिसके बाद ही निर्माण फिर से शुरू हो सकता है।
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परियोजना को लागू करने वालों को निर्माण स्थल पर वीडियो कैमरे भी लगाने होंगे। दृश्यों का उपयोग धूल के स्रोतों की पहचान करने और उन्हें कम करने के लिए किया जाना है। आस-पड़ोस के लोगों को वायु गुणवत्ता के बारे में सूचित करने के लिए कार्यस्थल पर डिजिटल बोर्ड लगाए जाने हैं।![Dust management committee recommends delhi government for air quality monitors](http://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2021/04/16/dust_storm_and_hailstorm_in_delhi_6989974-m.jpg)
रिपोर्ट में कहा गया है, “दिशानिर्देशों को अधिसूचित किए जाने के बाद, चल रही परियोजनाओं को पालन करने के लिए 60 दिन का समय दिया जाएगा।”
एनालाइजर के साथ छेड़छाड़ करते पाए गए प्रोजेक्ट प्रमोटरों को दंडित किया जाएगा। यदि मॉनिटर ऑफ़लाइन हो जाता है और 24 घंटे की अवधि में 144 मिनट से अधिक समय तक डेटा संचारित नहीं करता है, तो भी जुर्माना लगाया जाएगा।