23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

भारत के इस शहर में खराब सब्जियों से बन रही बिजली, 10 टन कचरे से 500 यूनिट हो रही तैयार

Highlights.- हैदराबाद के बोवनपल्ली सब्जी मंडी में कचरे से तैयार हो रही बिजली - रोज करीब 10 टन कचरे लगभग 500 यूनिट बिजली उत्पादन हो रहा - कचरे से तैयार बिजली का मंडी परिसर में ही विभिन्न जगहों पर इस्तेमाल हो रहा  

2 min read
Google source verification

image

Ashutosh Pathak

Feb 10, 2021

bowanpally_sabji_mandi.jpg

नई दिल्ली।

हम सभी यह जानते हैं कि किसी भी सब्जी का इस्तेमाल खाने के लिए होता है। अगर खराब हो जाए तो फेंक दी जाती है। कुछ लोग खाद के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए उसे गमलों में भी डाल देते हैं। मगर क्या आपने कभी यह सुना है कि सब्जियों से बिजली बन रही है। जी हां, यह सच है। हैदराबाद के बाहरी क्षेत्र सिकंदराबाद में एक काफी बड़ी सब्जी मंडी है, जिसका नाम है बोवनपल्ली सब्जी मंडी। इस सब्जी मंडी में सब्जियों के अलावा और भी दूसरे तरह के कचरे निकलते है। इसकी मात्रा रोज करीब 10 टन होती है। मगर यह कचरा फेंका नहीं जाता बल्कि, इसका इस्तेमाल रोज 500 यूनिट तक बिजली बनाने में होता है। यही नहीं, बचे हुए कचरे से जैविक खाद भी बनाई जा रही है।

करीब 55 साल पुरानी यह बोवनपल्ली सब्जी मंडी काफी बड़े क्षेत्र में स्थित है। यहां रोज करीब 10 टन अलग-अलग तरह का कचरा जमा होता है, जिसमें बड़ा हिस्सा खराब सब्जियों का होता है। पहले यह कचरा यूं ही फेंक दिया जाता था। मगर कोरोनाकाल में लॉकडाउन के दौरान भी स्थानीय लोग और कुछ दुकानदार यहां सब्जियों की खरीदी के लिए आते थे। खराब सब्जियों को फेंकने के बजाय मंडी से जुड़े कुछ अधिकारियों-कर्मचारियों के दिमाग में विचार आया कि क्यों न इस कचरे को फेंकने के बजाय कुछ सकारात्मक इस्तेमाल किया जाए। उनहोंने हैदराबाद स्थित सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नालॉजी (आईआईसीटी) के वैज्ञानिकों से मुलाकात की।

सफलता मिली और तुरंत पेटेंट भी करा लिया
वैज्ञानिकों को सुझाव पसंद आया और उन्होंने इस पर काम शुरू किया। इसमें उन्हें सफलता भी मिली और अब इसका पेटेंट भी करा लिया गया है। इस समय आईआईसीटी की देखरेख में ही एक निजी इंजीनियरिंग कंपनी यहां बिजली उत्पादन पर काम कर रही है।

कैसे बनाई जा रही बिजली, कैसे हो रहा उत्पादन
सब्जियों से बिजली तैयार करने की प्रक्रिया थोड़ी कठिन है। इस प्रक्रिया के तहत सब्जियों के कचरे को पहले कन्वेयर बेल्ट पर रखा जाता है। यह बेल्ट कचरे को बारीक ढेर में तब्दील कर देता है। इसका घोल बनाया जाता है, जिसे बड़े कंटेनरों या गड्ढों में डाल दिया जाता है। इससे यह जैव ईंधन बन जाता है। इस ईंधन में कॉर्बन डाई आक्साइड और मीथेन गैस होती है। यह ईंधन जेनरेटर में इस्तेमाल किया जाता है। इसी से बिजली बनती है। अब तक करीब 1400 टन सब्जियों के कचरे से 32 हजार यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ है। इसके अलावा, करीब 700 किलो खाद तैयार हुई, जिसे खेती के काम में इस्तेमाल किया जा रहा है।

बड़े काम का निकला यह कचरा, कई जगह हो रहा इस्तेमाल
औसतन रोज करीब 10 टन कचरे से लगभग 500 यूनिट बिजली तैयार हो रही है। इस बिजली से मंडी परिसर में 100 स्ट्रीट लाइट जल रही हैं। इसके अलावा, मंडी परिसर में स्थित 170 दुकानों और एक प्रशासनिक भवन को इससे आपूर्ति दी जा रही है। साथ ही, वॉटर सप्लाई के लिए भी इसी बिजली का इस्तेमाल हो रहा है। यही नहीं, रोज करीब 30 किलोग्राम बायोगैस भी तैयार हो रही है। इसे मंडी में स्थित कैंटीन को सप्लाई किया जाता है, जिससे वहां खाना पकता है। इसकी सफलता को देखते हुए हैदराबाद की कुछ और मंडियों ने भी इस पर अपने यहां काम शुरू कर दिया है। जल्दी ही वहां भी कचरे से बिजली का उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा।


बड़ी खबरें

View All

विविध भारत

ट्रेंडिंग