
क्या है पाकिस्तानी बैट की सच्चाई,
नई दिल्ली। सांबा के रामगढ़ सेक्टर से सटे भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर मंगलवार को बीएसएफ जवान नरेंद्र सिंह को मारने से पहले पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम (बैट) ने करीब नौ घंटे तक तड़पाया था। भारतीय सेना को जब बुधवार की रात उनका शव मिला तो बेहद वीभत्स हालात में था। जवान का गला रेता हुआ था। आंखें तक निकाल ली गई थी। एक टांग कटी हुई थी और पीठ पर करंट लगने की निशान भी मिले, इतना ही नहीं खबर है कि उनकी पीठ पर तीन गोलियां भी मारी गई थी। सैनिकों के शव को बुरी तरह क्षत-विक्षत करने की इस घटना के बाद दिमाग में एक सवाल जरूर कौंधता है कि आखिर ये पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम (बैट) है क्या?
कमांडो और आतंकियों से बनती है बैट
पाकिस्तान सेना अपनी बॉर्डर एक्शन टीम को सीमा पर ऑपरेशन के वक्त हार से बचने के लिए बुलाती है। इस टीम में सिर्फ कमांडो ही नहीं बल्कि खूंखार आतंकियों भी शामिल किया जाता है। ये टीम युद्ध के नियमों का पालन नहीं करते और छापामार तरीके से हमला करते हैं। कुख्यात बैट टीम भारत-पाक सीमा में एक से तीन किलोमीटर तक हमले को अंजाम देती है। बैट जब सीमा पर भारतीय जवानों का अपना शिकार बनाने के लिए निकलती है तो पाकिस्तानी रेंजर और सेना इन्हें कवर फायरिंग देती है। जिसके दम पर ये घुसपैठ में कामयाब हो जाते हैं।
भारतीय जवानों को शिकार बनाती बैट
पाकिस्तानी बैट को सीमा पर भारतीय जवानों को निशाना बनाने के लिए ही बुलाया जाता है। बैट टीम घुसपैठ के बाद सबसे करीबी जवान को अपना शिकार बनाते हुए गोली मारकर उन्हें जख्मी करती है। उसके बाद उन्हें सीमापार ले जाकर उन्हे प्रताड़ित करती है और तड़पा तड़पा कर मारती है। ये लोग जवानों के शव के साथ किसी भी हद तक बर्बरता करने के लिए हर वक्त तैयार होते हैं।
पाक सेना अपने कैंप में देती है ट्रेनिंग
बैट टीम के पास अत्याधुनिक हथियार होते हैं लेकिन ये अपने दुश्मन को जख्मी करने के बाद बर्बरता के लिए चाकू और भालों का इस्तेमाल करते हैं। इन्हें पाकिस्तान की आर्मी कैंप में ही ट्रेनिंग दी जाती है। इन्हें बर्फ, जंगल, पानी, हवा और मैदान में मार करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। ये अपने साथ कमांडो की तरह हाई एनर्जी फूड लेकर चलते हैं ताकि किसी भी हालात में ज्यादा दिनों तक मुकाबला कर सकें।
Published on:
20 Sept 2018 06:06 pm
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