
नई दिल्ली। भारत में पिछले 15 दिनों से नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है। देश के कई हिस्सों में तो यह प्रदर्शन हिंसक भी हो गया। उत्तर प्रदेश, कर्नाटक समेत कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शनों के दौरान कई लोगों की जानें भी गईं। एहतियात के तौर पर विरोध-प्रदर्शनों के दौरान कई स्थानों पर कर्फ्यू भी लगाया गया। वहीं धारा 144 भी लागू की गई। पुलिस ने जगह-जगह मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं कुछ समय के लिए बंद कर दी। पुलिस अधिकारियों का दावा था कि इंटरनेट और मोबाइल बंद होने से विरोध-प्रदर्शन पर लगाम लगी।
CAA और NRC के दौरान इंटरनेट सेवाएं रखी गई बंद
देश के अलग-अलग राज्यों में इंटरनेट सेवाएं रोकने से CAA और NRC जैसे मुद्दों पर विरोध भड़कने से रोका जा सकता है। क्योंकि यह सवाल उठाना इसलिए लाजिमी है कि आज ज्यादातार काम मोबाइल और इंटरनेट पर आधारित हैं। चाहे बैंकिंग सेक्टर की बात हो या फिर बड़ी-बड़ी बिजनेस डील की, ये सभी इंटरनेट आधारित काम हैं। पुलिस की इस कार्रवाई से आम लोगों को काफी कठिनाइयां भी हुईं।
पत्रिका डॉट काम ने सोशल मीडिया के जरिए लोगों से यह जानने की कोशिश कि क्या प्रशासन का यह कदम सही है या गलत। पोल में हिस्सा लेने वाले ज्यादातर यूजर्स ने कहा कि प्रदर्शनों के दौरान इंटरनेट सेवा बंद करना सही था। फेसबुक पर पोल में भाग लेने वाले 75 फीसदी यूजर्स ने पुलिस प्रशासन के फैसले को सही बताया।
वहीं ट्विटर पर 71 फीसदी यूजर्स ने इस फैसले पर मुहर लगाई। जबकि 29 फीसदी लोगों ने कहा कि इंटरनेट सुविधा बंद करना गलत फैसला है।
जबकि इंस्टाग्राम पर 55 फीसदी लोगों ने इंटरनेट बंद करन के फैसले को सही करार दिया। एक यूजर ने लिखा कि आजादी से पहले तो फोन तक नहीं थे, इमरजेंसी के दौरान भी ना तो इन्टरनेट था और ना ही मोबाइल, इसलिए ये सोचना गलत है कि मोबाइल नेटवर्क और इन्टरनेट सेवाओं को बाधित करने सेआन्दोलन पर रोक लगाई जा सकती है ।
Updated on:
28 Dec 2019 04:43 pm
Published on:
25 Dec 2019 02:45 pm
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