
किसान आंदोलन को अब खापों का भी समर्थन, टिकैत बोले- किसान केे सम्मान की लड़ाई
नई दिल्ली। दिल्ली की सीमा पर कृषि कानून ( Protest against Agricultural law ) के खिलाफ किसानों का आंदोलन ( Farmer Protest ) 22वें दिन भी जारी रहा। गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों की महापंचायत हुई। इसमें खापों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इन सभी प्रतिनिधियों ने किसानों को अपना समर्थन दिया। इस दौरान नरेश टिकैत ( Naresh Tikait ) ने कहा, "फैसले का मूड बनाओ, लेकिन किसानों का सम्मान बचा रहना चहिए।" गाजीपुर बॉर्डर पर बालियान खाप के मुखिया नरेश टिकैत, लाटीयान खाप के मुखिया मास्टर वीरेंद्र सिंह, देसवाल खाप के मुखिया सरनवीर, चौगामा खाप के मुखिया देवी सिंह आदि शामिल हुए। इसके अलावा गठवाला खाप, अहलावत खाप, खाटीयान खाप और मुड़े खाप आदि के प्रतिनिधि शामिल हुए ।
हर समस्या का समाधान
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि हर समस्या का समाधान है, लेकिन इस समस्या का क्या समाधान हो सकता है ? हमें इतनी उम्मीद नहीं थी जितनी सरकार ने बात खींच दी। अब किसान के मान सम्मान की बात बन गई है। आप लोगों की परीक्षा की घड़ी आ गई है। मैं सारे संगठनों को धन्यवाद देता हूं। कोई भी संघठन पीछे नहीं है, हर संगठन किसानों की लड़ाई लड़ रहा है। गाजीपुर बॉर्डर पर खाप चौधरी आए हुये हैं, ये सभी खाप चौधरी बहुत जिम्मेदार लोग हैं। गांव के मुख्य फैसले यही खाप के लोग करते हैं। इन सभी पर समाज को बचाने का बहुत बड़ा योगदान है।
सरकार पीछे हटे, हम भी पीछे हटने को तैयार
उन्होंने कहा कि किसानों के साथ साथ लोगों का भी पता है। हम भी इंसान हैं, जनसमस्याओं की सारी जानकारी है। सरकार बस अफवाहें फैला रही है। हमारे किसान भाई शहीद हो गए। मुझे सुनकर बहुत बुरा लगा, खाना भी नहीं खा सका। आप सभी किसान हम सभी पर कितना विश्वास कर रहे हैं। कमेटी के 35-40 लोगों के सम्मान को कोई ठेस न पहुंचे, इस बात का ध्यान रखें। हम फैसला चाहते हैं, सरकार पीछे हटे, हम भी पीछे हटने को तैयार हैं। एक उदाहरण देते हुए नरेश टिकैत ने कहा कि न तुम जीते न हम हारे।
किसान की मृत्यु पर नरेश टिकैत ने दुख जताया
हालांकि बुधवार को हुई किसान की मृत्यु पर नरेश टिकैत ने दुख जताया और गाजीपुर बॉर्डर पर 2 मिनट का मौन भी रखा। दरअसल कृषि कानून के खिलाफ लगातार किसान प्रदर्शन कर रहें हैं और ये प्रदर्शन 22वें दिन भी जारी रहा। ऐसे में किसान इस बात पर अड़े हुए हैं कि सरकार इन कानूनों को वापस ले।
Updated on:
17 Dec 2020 06:57 pm
Published on:
17 Dec 2020 06:17 pm
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