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गुजरातः अब RSS से जु़ड़े किसान संगठन की धमकी, सरकार ने जल्द नहीं मानी मांगे तो करेंगे हड़ताल

पीएम मोदी के गृह नगर से आई बुरी खबर, आरएसएस से जुड़े किसान संगठन ने मांग न मानने पर दी हड़ताल की धमकी।

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गुजरातः अब RSS से जु़ड़े किसान संगठन की धमकी, सरकार ने जल्द नहीं मानी मांगे तो करेंगे हड़ताल

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य से उनके लिए बुरी खबर आ रही है। जी हां किसान आंदोलन का दंश जेल रही मोदी सरकार को अब आरएसएस से जुड़े किसान संगठन ने भी सड़क पर आने की चेतावनी दी है। दरअसल दिल्ली में किसानों का आंदोलन समाप्त हुए अभी 4 दिन भी नहीं हुए हैं, ऐसे में अब सरकार के सामने एक और समस्या खड़ी हो सकती है।


सिर्फ गुजरात से 5 लाख किसान
अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने हड़ताल की चेतावनी दी है। बीकेएस ने कहा है कि अगर भाजपा सरकार किसानों के मुद्दों पर ध्यान नहीं देती है तो वह गुजरात में आंदोलन करेंगे। अकेले गुजरात में इस किसान इकाई से करीब 5 लाख सदस्य जुड़े हुए हैं।
इन मांगों को लेकर नाराज हैं किसान
- न्यूनतम समर्थन मूल्य के मुताबिक तत्काल खरीफ (ग्रीष्मकालीन) फसल की खरीददारी
- खाद के दामों में कमी
- फसल नुकसान का सर्वेक्षण और कृषि संबंधित उत्पादों से जीएसटी हटाना
बीकेएस के अध्यक्ष विट्ठल दुधात्रा ने बताया कि यह इकाई 15 अक्टूबर को रैलियां आयोजित करेगी और हर जिले में अधिकारियों को ज्ञापन सौंपेगी। पहली चेतावनी राज्य सरकार के लिए है, समय रहते राज्य सरकार कोई बड़ा कदम नहीं उठाती है, तो केंद्र सरकार के खिलाफ मैदान में उतरेंगे किसान।
आपको बता दें कि हाल में मध्य प्रदेश से 25 हजार किसानों (Farmer) के दिल्ली कूच करने की खबर आई थी। हाथ में झंडा और कंधे पर झोला टांगे हुए किसान आगरा-मुंबई मार्ग से दिल्ली की ओर रुख कर रहे हैं। पहले दिन किसान सत्याग्रही 19 किमी की दूरी तय कर मुरैना जिले की सीमा में दाखिल हुए। भूमि अधिकार की मांग को लेकर देश भर के भूमिहीन गांधी जयंती पर मेला मैदान में जमा हुए थे। दो दिन तक वहीं डेरा डाले रहे। फिर गुरुवार को उन्होंने दिल्ली की ओर कूच किया। वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) और संघ विचारक गोविंदाचार्य ने इन किसानों को समर्थन दिया है।
जनांदोलन-2018 की हुंकार
एकता परिषद और सहयोगी संगठनों के आह्वान पर यह आंदोलन शुरू बताया जाता है। इसे जनांदोलन-2018 नाम दिया गया है। कुल पांच सूत्रीय मांगों को लेकर किसानों का यह आंदोलन है। उनकी मांग है कि आवासीय कृषि भूमि अधिकार कानून, महिला कृषक हकदारी कानून, जमीन के लंबित प्रकरणों के निराकरण के लिए न्यायालयों का गठन किया जाए।