
राहुल गांधी।
नई दिल्ली। गृह मंत्री अमित शाह और किसान नेताओं के बीच मंगलवार रात को हुई बैठक विफल होने के बाद सरकार और किसान यूनियनों के बीच आज होने जा रही बैठक अब नहीं होगी। सरकार ने किसानों को कृषि कानून में संशोधन का लिखित प्रस्ताव दिया है। इस पर किसान नेताओं ने सिंघु बॉर्डर पर बैठक की। किसानों ने सरकार के प्रस्ताव को नहीं माना है।
वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि कृषि कानून किसान विरोधी है। पीएम ने कहा था कि ये कानून किसानों के हित में होंगे, तो फिर किसान सड़क पर क्यों खड़े हैं? सरकार को ये नहीं सोचना चाहिए कि किसान डर जाएंगे और हट जाएंगे। जब तक कानून वापिस नहीं हो जाते तब तक किसान न हटेगा न डरेगा।
सरकार को गलतफहमी में नहीं होना चाहिए
राहुल गांधी ने कहा कि सरकार को गलतफहमी में नहीं होना चाहिए किसान समझौता नहीं करेगा। मैं किसानों से कह रहा हूं कि अगर आप आज नहीं खड़े हुए तो फिर आप कभी नहीं खड़े हो पाओगे और हम सब आपके साथ हैं आप बिलकुल घबराइए मत। आपको कोई पीछे नहीं हिला सकता आप हिदुस्तान हो।
राष्ट्रपति से मिलकर विपक्षी दलों ने कृषि बिल वापस लेने की मांग की
विपक्षी दलों के नेताओं ने बुधवार को राष्ट्रपति से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपा। सीपीआई-एम के नेता सीताराम येचुरी के अनुसार हमने राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा है। हमारी उनसे अपील की है कि कृषि कानूनों और बिजली संशोधन बिल जिन्हें गैर लोकतांत्रिक तरीके से पास किया गया था। उन्हें वापस लिया जाए।
किसान नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा कि हमने सरकार का प्रस्ताव ठुकरा दिया है। क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल का कहना है कि जो सरकार की तरफ से प्रस्ताव आया है, वह हमें मंजूर नहीं है। इसे हम पूरी तरह से रद्द करते हैं।
इसके साथ अन्य नेताओं ने भी मीडिया से बात कर प्रमुख बातें सामने रखीं। उनका कहना है कि
14 दिसंबर को पूरे देश में धरना-प्रदर्शन करेंगे। 12 तारीख को पूरे देश में टोल प्लाजा फ्री करेंगे।
14 दिसंबर के बाद से अनिश्चितकालीन प्रदर्शन जारी रहेगा। जब तक तीनों कानून वापस नहीं लिए जाते। कृषि कानूनों को लेकर विपक्षी नेता राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने राष्ट्रपति भवन पहुंचे हैं।
Updated on:
09 Dec 2020 07:06 pm
Published on:
09 Dec 2020 06:12 pm
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