चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि कि इन कानूनों के अमल पर आगले आदेश तक रोक लगाई जाती है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का कई किसान नेताओं ने स्वागत किया है तो कई ने निराशा व्यक्त की है। किसान नेताओं के अनुसार जब तक कानून वापस नहीं लिए जाते, तब तक वे अपना आंदोलन खत्म नहीं करने वाले हैं। इस दौरान करीब 40 आंदोलनकारी किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाली संयुक्त किसान मोर्चा ने अगले कदम को लेकर एक बैठक बुलाई है।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के अनुसार माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित कमेटी के सदस्य खुली बाजार व्यवस्था या कानून के समर्थक रहे हैं। अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में गठित कमेटी इस कानून को लाए जाने के पक्ष में हैं। देश का किसान इस फैसले से निराश हैं।
किसान नेताओं ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त समिति के समक्ष वे किसी भी कार्यवाही में हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं। मगर इस बारे में औपचारिक निर्णय मोर्चा को लेना होगा।