जानकार मानते हैं कि सरकारें गर्भनिरोधकों पर सब्सिडी व उनकी पहुंच महिलाओं तक आसान बना दें तो परिवार नियोजन को बल मिलेगा। नागरिकों के लिए बेहतर जीवन की नीतियां बनाने में सहज होंगी।
भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं के आंकड़ों के अनुसार दिसंबर से मार्च तक गर्भनिरोधक गोलियों में 15% व कंडोम के वितरण में 23% की कमी आई है। यहां गांव -कस्बों, छोटे शहरों से लोग परिवार से दूर रहकर नौकरी करते हैं। मार्च में लॉकडाउन के बाद घरों को लौट गए। पाटर्नर के साथ अधिक समय बिताने का समय मिला, जिससे अनचाहे गर्भ व गर्भपात हो सकते हैं।