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आसान नहीं होगा आपके शहर में मेट्रो रेल का आना

प्रस्तावित मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम में केंद्र ने आर्थिक सहयोग को ले कर मुट्ठी भींच ली है। मंत्रालय ने नई नीति का मसौदा कैबिनेट को भेज दिया है।

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Arun Chauhan

Aug 15, 2017

metro

मुकेश केजरीवाल

नई दिल्ली। अगर आप अपने शहर में मेट्रो रेल का इंतजार कर रहे हैं, तो यह इंतजार कुछ ज्यादा खिंच सकता है। सरकार ने देश भर में मेेट्रो लाने के लिए एक नई नीति तैयार कर ली है। इसमें नई जगह पर मेट्रो शुरू करने के लिए बेहद सख्त प्रावधान किए गए हैं। साथ ही इसके लिए केंद्र अपनी जेब ढीली करने को भी तैयार नहीं है।

केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने नई नीति का मसौदा कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेज दिया है। अब कैबिनेट की अगली बैठक में इस पर मुहर लगाई जा सकती है। प्रस्तावित मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (एमआरटीएस) में केंद्र ने आर्थिक सहयोग को ले कर मुट्ठी भींच ली है। नई नीति के आ जाने के बाद किसी भी राज्य की ओर से भेजे गए मेट्रो रेल के प्रस्ताव इसके सख्त प्रावधानों के मुताबिक ही स्वीकार किए जाएंगे। इसमें किसी प्रोजेक्ट को मंजूरी देने के मामले में किसी सरकार के लिए मनमानी करना मुमकिन नहीं रह जाएगा।

निजी साझेदारी जरूरी

इसमें कहा गया है कि मेट्रो के लिए राज्यों को हर हाल में सरकारी और निजी साझेेदारी (पीपीपी) पर विचार करना होगा। नीति में पीपीपी के कई मॉडल सुझाए गए हैैं। इस साझेदारी को मजबूती देने के लिए सरकार वायेबलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) के तौर पर अपना सहयोग देगी। ताकि निजी क्षेत्र को इसमें यह भरोसा रहे कि उन्हें ज्यादा घाटा नहीं लगेगा। इसके अलावा केंद्र सरकार सामान्य तौर पर इक्विटी या ग्रांट के तौर पर बहुत सीमित मदद देगी।

सख्त पैमानों पर कसी जाएगी

किसी भी परियोजना को चार प्रमुख कसौटी पर कसा जाएगा। ये चार पैमाने हैं- मांग, क्षमता, लागत और लागू करने में होने वाली आसानी। भविष्य की जरूरतों का गंभीरता से और निष्पक्ष रूप से आंकलन करवाना होगा। इस पर आने वाली भारी लागत की वजह से इसका प्रस्ताव करने से पहले सभी अन्य विकल्पों पर विचार कर लेना होगा। शहर की आबादी चाहे जो भी हो, लेकिन यह साबित होता हो कि जिस कॉरिडोर का प्रस्ताव किया जा रहा है, उस पर जरूरी सवारी उपलब्ध होंगी।


संपूर्ण विकास की व्यवस्था जरूरी

नीति में कहा गया है कि मेट्रो रेल के प्रस्ताव के साथ ही उस इलाके के व्यापक विकास की योजना का खाका तैयार करना होगा। इसी तरह मेट्रो रेल के हर प्रस्ताव में अनिवार्य रूप से व्यापक फीडर सेवा का भी प्रावधान करना होगा। यह फीडर सेवा मेट्रो स्टेशन के कम से कम पांच किलोमीटर के दायरे को कवर करेगी। इसी तरह पैदल यात्रियों के लिए फूटपाथ, गैर मोटरीकृत वाहन के लिए ढांचागत सुविधाएं, पार्किंग आदि सभी पहलुओं का इंतजाम अनिवार्य रूप से करना होगा।

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