
नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो के पूर्व प्रमुख आलोक वर्मा ने बड़ा बयान दिया है। वर्मा ने मीडिया में आई उस खबर को सिरे से खारिज कर दिया जिसमें कहा गया है कि उन्होंने अपने खिलाफ जांच के संबंध में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखा था। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की कार्रवाई को मैंने बदले की कार्रवाई भी नहीं बताया था। उन्होंने इस तरह की खबर को एक मीडिया हाउस की सोची समझी साजिश करार दिया है।
न्यूज में इस बात का किया गया था दावा
एक न्यूज रिपोर्ट में दावा किया गया था कि गृह मंत्रालय ने विभागीय जांच के संबंध में उनके खिलाफ जो आरोप पत्र पेश किए थे, उसे वर्मा ने वापस लेने के संबंध में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखा था और इसे राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम बताया था।
दरअसल, सीवीसी की रिपोर्ट में वर्मा के खिलाफ कई आरोप लगाए गए थे। वर्मा को सबसे पहले सीबीआई डायरेक्टर के पद से अक्टूबर, 2018 में सीवीसी की सिफारिश के बाद हटा दिया गया था लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी, 2019 में उन्हें उनके पद पर बहाल कर दिया था।
इसके बाद 10 जनवरी, 2019 को आलोक वर्मा को सीबीआई के प्रमुख पद से हटाकर फायर सर्विसेज, सिविल डिफेंस और होम गार्ड्स का डीजी बनाया गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता मलिकार्जुन खड़गे और जस्टिस एके सीकरी की सदस्यता वाली सलेक्शन कमिटी ने यह फैसला लिया था। इसके बाद वर्मा ने इंडियन पुलिस सर्विस से इस्तीफा दे दिया था।
मीडिया हाउस की खबर को बताया मनगढंत
बता दें कि 1979 बैच के एजीएमयूटी कैडर के आईपीएस अधिकारी आलोक वर्मा ने एक बयान जारी करके कहा कि चैनल के पास कथित पत्र की मनगढ़ंत बाते हैं जो मैंने लिखी ही नहीं हैं। उन्होंने इसे उनके और सरकार के बीच दूरी पैदा करने की चैनल की सोची समझी बदमाशी बताया। साथ ही कहा कि न्यूज चैनल ने उनके खिलाफ ‘गलत और शरारतपूर्ण रिपोर्ट दिखाई है।
Updated on:
04 Oct 2019 11:33 am
Published on:
04 Oct 2019 08:53 am
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