scriptED के पूर्व प्रमुख ने बाटला हाउस एनकाउंटर के खोले कई राज, कुछ एक्टिविस्‍टों ने की कंट्रोवर्सी क्रिएट | Former ED chief Karnail Singh opened secrets of Batla House encounter | Patrika News

ED के पूर्व प्रमुख ने बाटला हाउस एनकाउंटर के खोले कई राज, कुछ एक्टिविस्‍टों ने की कंट्रोवर्सी क्रिएट

locationनई दिल्लीPublished: Sep 19, 2019 09:35:00 am

Submitted by:

Dhirendra

गुजरात पुलिस को मिली थी बाटला हाउस की लीड
सूचना को पुख्‍ता करने के बाद पुलिस पहुंची थी बाटला हाउस
कुछ लोग दिल्‍ली पुलिस को फंसाना चाहते थे

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नई दिल्‍ली। ग्‍यारह साल पहले दिल्ली के जामिया नगर इलाके में बाटला हाउस एनकाउंटर हुआ था। इस एनकाउंटर को लेकर सियासत आज भी गरमा जाती है। वर्षों बाद ईडी के पूर्व डायरेक्टर और बाटला हाउस एनकाउंटर के दौरान ज्वाइंट कमिश्नर रहे करनैल सिंह ने इस घटना से जुड़े कई राज का खुलासा किया है।
उन्‍होंने मीडिया से बातचीत में बताया है कि बाटला हाउस एनकाउंटर के दौरान उनपर कैसा प्रेशर था? कैसे स्पेशल सेल की टीम को बांटने की कोशिश की गई? कैसे सियासी बयानबाजी के बीच एनकाउंटर का हर सबूत देना पड़ा?
दिल्‍ली पुलिस को मिली थी खुफिया लीड
मीडिया से बातचीत में उन्‍होंने बताया कि गुजरात में 26 जुलाई, 2008 में ब्लास्ट हुआ था। गुजरात पुलिस ने जांच की उससे जो लीड मिली वो उन्होंने इंटेलिजेंस एजेंसियों के अलावा सभी राज्यों की पुलिस से भी शेयर की। जानकारी के मुताबिक दिल्ली पुलिस से भी शेयर की गई। जब उन लीड्स को डेवलप किया गया जिसमें मुख्य काम इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा का था। उन्‍हें एक फोन नंबर डाउट हुआ।
लीड के आधार पर बाटला हाउस में मोहन चंद शर्मा की टीम ने सर्च ऑपरेशन किया लेकिन इस दौरान एनकाउंटर हुआ। एनकाउंटर के बाद जो लीड्स मिली उससे पूरा इंडियन मुजाहिद्दीन का मॉड्यूल था वो धीरे-धीरे धराशाई हो गया।
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कंट्रोवर्सी क्रिएट किया गया
घटना के बाद बाटला हाउस एनकाउंटर पर कंट्रोवर्सी हुई। कुछ लोगों द्वारा ये कंट्रोवर्सी जान बूझकर क्रिएट किया गया। दूसरी तरफ हमारे ऊपर एक वर्क प्रेशर था कि आपको समझाना है। एनकाउंटर पर लोग शक कर रहे थे। उनको क्लियर करना था कि नहीं ऐसा नहीं था जो स्पेशल सेल की टीम ने करके भी दिखाया। लीगल स्क्रूटनी में भी यह साफ हो गया।
काम स्पेशल सेल की टीम ने किया उसके बाद जो लीड मिली वो इंटेलिजेंस एजेंसी से शेयर की गई। उसके बाद कई सफलताएं मिलीं। जैसे 26 सितंबर को मुंबई पुलिस ने इंडियन मुजाहिद्दीन के एक और मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया। अलग-अलग राज्यों की पुलिस को भी सफलताएं मिलीं।
यह सब साबित करता था कि बाटला हाउस में जो लोग पकड़े गए थे वे इंडियन मुजाहिद्दीन के लोग थे और उन्होंने बहुत सारी जगह पर ब्लास्ट किए थे।

सियासत हुई, पर सच नहीं बदला
लुटियन जोन नेताओं के अलावा कुछ एक्टिविस्ट थे जिनका काम ही है पुलिस के एक्शन का विरोध करना। लेकिन सच नहीं बदलता. हमारे इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा और उनकी टीम एक क्लोज नेट टीम थी। यह पहला मौका नहीं था कि टीम ने किसी आतंकवादी को पकड़ा हो या एनकाउंटर हुआ हो। टीम ने कश्मीर में भी ऑपरेशन किया था।
ऐसी टीम पर आरोप लगाना गलत है और गलत था टीम को आपस में बांटने की कोशिश करना। मोहन को आतंकवादी की गोली लगी। वहां 2 आतंकी मारे गए और 2 भाग गए। एक पकड़ा भी गया वहां से जिससे आगे की लीड्स मिली तो सच्चाई नहीं बदलती और सच्चाई यही थी कि मोहन चंद शर्मा को आतंकवादी की गोली लगी थी।
जांच टीम में कुछ लोग डालना चाहते थे फूट

उन्‍होंने कहा था उस समय कुछ एक्टिविस्‍ट ऐसे थे जिनका नाम अभी मैं यहां नहीं लेना चाहूंगा। नेताओं का आपको मालूम है जो बोले थे टीवी पर। अब उस विवाद में जाने का कोई फायदा नहीं। ऐसे एक्टिविस्‍ट 11 साल कोर्ट में केस हुए। एनएचआरसी ने जांच की। हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में याचिकाएं डाली गईं लेकिन सब जगह जीत सच की हुई।
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