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लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष पी ए संगमा का निधन, देश ने जताया शोक

लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष एवं मौजूदा सांसद पी. ए. संगमा का शुक्रवार सुबह दिल का दौरा पडऩे से निधन हो गया

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Sunil Sharma

Mar 04, 2016

pa sangma

pa sangma

नई दिल्ली। लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष तथा मेघालय के तुरा संसदीय क्षेत्र से मौजूदा सांसद पी.ए. संगमा का शुक्रवार सुबह दिल का दौरा पडऩे से निधन हो गया। वह कुछ समय से बीमार चल रहे थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी सोरडनी के. संगमा तथा चार बच्चे हैं।

लोकसभा की कार्यवाही 8 मार्च तक के लिए स्थगित
संगमा के निधन का समाचार मिलते ही लोकसभा में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सदन की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी गई है। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने पूर्व लोकभा अध्यक्ष पी. ए. संगमा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने हंसते-हंसते सदन चलाने का गुर संगमा से ही सीखा है।

सुबह कार्यवाही शुरू होते की महाजन ने सदन को संगमा के निधन के बारे में बताया और शोक संदेश पढ़ा। उन्होंने कहा, 'अगर मैं यह कहूं कि हंसते-हंसते सदन कैसे चलाना है यह मैंने श्री संगमा से सीखा तो यह कहना गलत नहीं होगा।Ó

जीवन परिचय
पुर्नो अगिटोक संगमा का जन्म एक सितंबर 1947 को मेघालय के पश्चिम गारो हिल्स जिले के चपाथी गांव में हुआ था। सेंट एंथनी कॉलेज शिलांग से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद संगमा ने असम के डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय से अंतरराष्ट्रीय संबंध में स्नातकोत्तर तथा एलएलबी की डिग्री हासिल की।

राजनीति में आने से पहल थे व्याख्याता, पत्रकार और वकील
राजनीति में आने से पहले उन्होंने व्याख्याता, वकील तथा पत्रकार के रूप में अपनी पहचान बनाई। वर्ष 1973 में संगमा प्रदेश युवा कांग्रेस समिति के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। कुछ समय बाद ही वह इस समिति के महासचिव नियुक्त किए गए। वर्ष 1975 से 1980 तक वह प्रदेश कांग्रेस समिति के महासचिव रहे। वर्ष 1977 के लोकसभा चुनावों में श्री संगमा तुरा निर्वाचन क्षेत्र से जीत दर्ज करने के बाद पहली बार सांसद बने। चौदहवीं लोकसभा चुनावों तक वह लगातार जीतते रहे। हालांकि नौवीं लोकसभा (1989) में वह जीत दर्ज करने में असफल रहे।

केन्द्र सरकार तथा लोकसभा में निभाई बड़ी जिम्मेदारियां
वह 1996 से 1998 तक लोक सभा के अध्यक्ष रहे। वर्ष 1980-1988 तक संगमा केंद्र सरकार के अंतर्गत विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे। 1988-1990 तक वह मेघालय के मुख्यमंत्री भी रहे तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी राकांपा के सह संस्थापक थे। वह आठ बार लोक सभा के सदस्य रह चुके हैं। वर्ष 1999 में कांग्रेस से निष्कासित होने के बाद शरद पवार और तारिक अनवर के साथ मिलकर संगमा ने राकांपा की स्थापना की। उन्होंने वर्ष 2004 में राकांपा से अलग एक क्षेत्रीय पार्टी बनाई जो बाद में तृणमूल कांग्रेस के साथ मिल गई।

उसके बाद संगमा फिर से राकांपा में शामिल हुए तथा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के खिलाफ राष्ट्रपति का चुनाव भी लड़ा जिसमें उन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), बीजू जनता दल, अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम के अलावा अन्य दलों का समर्थन प्राप्त था।

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