गैस गीजर के इस्तेमाल के लिए अब तक कोई दिशा-निर्देश नहीं जारी हुए हैं। सरकार को दिशा-निर्देश तैयार कर मानक तय करना चाहिए ताकि लोगों को पता चले कि उसका सुरक्षित इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है।
एलपीजी में यूटेन व प्रोपेन गैस होती है, जो जलने के बाद कार्बन मोनोऑक्साइड पैदा करती है। छोटी जगह में जब गैस गीजर चलता है तो वहां कार्बन मोनोऑ साइड की मात्रा बढऩे लगती है और ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। ऐसे में नहाने के दौरान पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिलने से मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी से चक्कर और बेहोशी का डर बना रहता है।
बढऩे लगे हैं हादसे
गैस गीजर सिंड्रोम पर अध्ययन करने वाले अनीश एमइ ने बताया, सर्दी के साथ गैस गीजर से संबंधित हादसे बढ़े हैं। छह माह में 24 मामले आ चुके हैं। इनमें 21 बाथरूम में बेहोश मिले।
ये ध्यान रखें गैस गीजर में लीकेज का बड़ा खतरा अनीश ने बताया, सर्दियों में पानी गर्म करने के लिए घरों में लगाए गए गैस गीजर में लीकेज एक बड़ा खतरा है। लीकेज की घटना इन दिनों बढ़ गई हैं। गीजर के बर्नर अक्सर चलते-चलते बंद हो जाते हैं। इससे गैस लीकेज होती है। इसलिए इनके प्रयोग के साथ खास सावधानी रखना भी जरूरी है।