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पिता की शिकायत करने 10 किलोमीटर पैदल चलकर डीएम के पास गई बच्ची, अब हर तरफ उसकी चर्चा और तारीफ

Published: Nov 19, 2020 02:49:18 pm

Submitted by:

Ashutosh Pathak

Highlights.

– ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले की 11 साल की संगीता सेठी ने कलेक्टर से कहा- सरकार ने मुझे पैसे दिए, पापा ने छीन लिया
– कलेक्टर ने अधिकारी को बुलाकर पिता के खिलाफ कार्रवाई के दिए निर्देश और कहा- अगली बार रकम सीधे छात्रा को मिले
– संगीता की मां का निधन दो साल पहले हुआ, पिता ने दूसरी शादी की और बेटी को अनाथ छोड़ दिया, अब चाचा कर रहे देखभाल

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नई दिल्ली।

बेटियों को पढ़ाना कभी व्यर्थ नहीं जाता। अगर वह पढ़-लिख जाती हैं, तो खुद पर हो रहे हर अत्याचार के खिलाफ मुखर भी होती हैं। फिर चाहे उनका शोषण घर के भीतर हो रहा हो या बाहर, वह इसका विरोध बखूबी करती हैं। शिक्षा उन्हें न सिर्फ अद्भुत शक्ति बल्कि, आत्मविश्वास भी देती है। इससे वह कभी किसी पर आश्रित नहीं रहतीं और प्रताडऩाओं का भी डटकर मुकाबला करती हैं।
इसकी मिसाल ओडिशा की संगीता सेठी है। संगीता की उम्र सिर्फ 11 साल है और वह दुकुका विद्यापीठ (केंद्रपाड़ा जिले का एक सरकारी स्कूल) में कक्षा 6 की छात्रा है। मां का दो साल पहले निधन हो गया। पिता ने कुछ महीने पहले दूसरी शादी कर ली और संगीता को अपने साथ रखने तथा आगे उसकी देखभाल करने से इनकार कर दिया। तब से संगीता अपने चाचा के साथ रह रही है। अब असल मुद्दे पर आते हैं, जिसकी वजह से वह इन दिनोंं में चर्चा में है और सभी उसकी जमकर तारीफ कर रहे हैं।
पिता के खिलाफ अनूठा विरोध, जो रंग लाया
संगीता ने हाल ही में अपने पिता रमेशचंद्र सेठी (जी हां, इन्होंने ही नई पत्नी मिलने के बाद अपनी 11 साल की बच्ची को अनाथ छोड़ दिया) की शिकायत केंद्रपाड़ा के कलेक्टर समर्थ वर्मा से की है। यह शिकायत करने के लिए वह दस किलोमीटर पैदल चलकर कलेक्टर ऑफिस गई। कलेक्टर को दी लिखित शिकायत में उसने आरोप लगाया कि सरकार की तरफ से उसे मिड-डे-मील के तहत नकद राशि और चावल दिया गया था, लेकिन यह रकम और चावल पिता ने जबरदस्ती उससे छीन लिया।
मेरे बजाय पापा के अकाउंट में क्यो दिया पैसा
दरअसल, सरकार पोस्ट कोविड-19 में मिड-डे-मील के तहत तय रकम छात्रों या उनके अभिभावकों के बैंक खाते में जमा करा रही है। योजना के तहत चावल भी दिया जा रहा है। संगीता को भी यह मिला, लेकिन स्कूल प्रशासन ने यह रकम उसकी बजाय पिता के बैंक खाते में जमा करा दिया। संगीता का आरोप है कि जब वह स्कूल से मिले पैसे लेने के लिए पिता के पास गई, तो उन्होंंने देने से साफ इनकार कर दिया। यही नहीं, राशन की दुकान से चावल भी ले लिया।
रकम का महत्व संगीता और उन जैसे जरूरतमंदों को ही पता है
हालांकि, रकम कितनी थी, सुनकर आप चौंक जाएंगे और कहेंगे यह तो ज्यादा नहीं, लेकिन इसका महत्व सिर्फ एक जरूरतमंद और गरीब परिवार ही समझ सकता है। शायद हम और आप नहीं। कलेक्टर समर्थ वर्मा ने बताया कि सरकार कोविड-19 के दौर में जब स्कूल बंद हैं, तब छात्रों को उनके बैंक खाते में मिड-डे-मील का पैसा और कोटे की दुकान से राशन दिया जा रहा है। यह रकम प्रति छात्र रोज के हिसाब से 8 रुपये 10 पैसे है। हर महीने की रकम बैंक खाते में जमा होती है। इसी तरह, रोज के हिसाब से 150 ग्राम चावल निर्धारित है, जो कोटे की दुकान से हर महीने दिया जाता है।
अब रकम संगीता के खाते में आएगी, पिता पर कार्रवाई भी होगी
संगीता का यह विरोध काम आया। कलेक्टर समर्थ वर्मा ने उसकी शिकायत सुनने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी संजब सिंह को तलब किया। उन्होंने संजब सिंह को निर्देश दिया कि अब से मिड-डे-मील और सभी संबंधित योजनाओं का लाभ सीधे संगीता को दिया जाए। यही नहीं, रमेशचंद्र सेठी से पैसे तत्काल वापस लेकर संगीता को देने और उन पर कार्रवाई करने के निर्देश भी कलेक्टर ने जारी किए। कलेक्टर ने स्कूल प्रशासन को भी निर्देश दिया कि सभी योजनाओं का लाभ सीधे छात्रों को दिया जाए, जिसमें राशन भी शामिल है।

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