
गोवा में इस हफ्ते की शुरुआत में धारा 144 सीआरपीसी के तहत निषेधाज्ञा के आदेशों पर विपक्ष और पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों की ओर से बवाल मचाने के बाद उत्तर गोवा जिला प्रशासन ने शनिवार को स्पष्ट किया कि आदेश का ऐलान सामान्य प्रक्रिया है। प्रशासन ने इससे नहीं घबराने की सलाह दी है। उत्तर गोवा की डीएम आर. मेनका ने शनिवार को स्पष्टीकरण में कहा कि- "आम जनता को नहीं घबराने की सलाह दी जाती है, क्योंकि ये आदेश पूर्व में भी सामान्य तैयारियों के तहत पूरे राज्य के लिए दोनों जिला अधिकारियों (गोवा में दो प्रशासनिक जिले हैं) जारी किए गए थे।"
समारोहों पर कोई प्रभाव नहीं
उन्होंने यह भी कहा कि- "यह आदेश चार से अधिक लोगों के एकत्र होने को नहीं रोकता है, जैसा कि कहा जा रहा है। पर्यटकों, कार्निवाल, शिग्मो और अन्य समारोहों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।" कार्निवाल और शिग्मो क्रमश: दो प्रमुख पारंपरिक कैथोलिक और हिंदू पर्व हैं।
विपक्ष ने लगाया था आरोप
इस सप्ताह के शुरू में 60 दिनों के लिए धारा 144 लागू होने के बाद, विपक्ष ने गोवा सरकार पर धारा 144 के लंबे समय तक लागू होने से तटीय राज्य में 'कश्मीर जैसी' स्थिति बनाने का आरोप लगाया था। उत्तर गोवा जिला प्रशासन की ओर से इस सप्ताह की शुरुआत में जारी आदेश में कहा गया था कि पश्चिमी तट के आसपास संभावित आतंकी खतरों और असामाजिक तत्वों द्वारा अपराध करने की आशंका के मद्देनजर निषेधात्मक प्रावधानों को लागू किया गया है।
एहतियाती कदम के तौर पर जारी किए आदेश
पर्यटन उद्योग के हितधारकों ने भी निषेधात्मक आदेश को लागू करने की आलोचना यह कहते हुए की थी कि इस कदम ने गोवा के भीतर पर्यटकों के बीच दहशत पैदा कर दी है। गोवा का पारंपरिक पर्यटन सीजन अक्टूबर से मार्च तक रहता है। मेनका ने शनिवार को अपने स्पष्टीकरण में यह भी कहा कि निरोधात्मक आदेश उत्तर गोवा प्रशासन की ओर से किराएदार सत्यापन अभियान चलाने से पहले केवल एहतियाती कदम के रूप में जारी किए गए।
Updated on:
15 Feb 2020 07:19 pm
Published on:
15 Feb 2020 06:09 pm
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