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भगोड़े NRI पतियों पर शिकंजा कसने के लिए यह कदम उठाएगी सरकार

माता पिता को शादी से पहले पूरी छानबीन करने की सलाह देगी सरकार धोखेबाज एनआरआई लड़कों से निपटने में दूतावास भी देगा मदद

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Pankaj Kumar Yadav

May 09, 2018

NRI

धीरज कुमार

नई दिल्ली। भारत में शादी रचा कर बाद में छोड़ देने वालेे धोखेबाज एनआरआई पतियों को ले कर सरकार अब जागरुकता लाएगी। इसके लिए एक विशेष अभियान चला कर लोगों से अपील की जाएगी कि रिश्ता तय करते समय परिवार वाले पहले उसके बारे में पूरी जांच-पड़ताल कर लें। साथ ही ऐसे मामलों में विदेशों में स्थित भारतीय दूतावास और उच्चायोग भी पीड़िता के परिवार की पूरी मदद करेंगे। इस संबंध में कानून ज्यादा सख्त करने के प्रस्ताव को फिलहाल सरकार ने गैर-जरूरी माना है।

दूतावासों में होगी मदद की ठोस व्यवस्था

महिला और बाल विकास मंत्रालय के अधिकारियों की विदेश, कानून और गृह मंत्रालय के अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक में इस बात पर सहमति बनी है। इस दौरान तय किया गया है कि मौजूदा कानून और विदेशों में मौजूद उच्चायोगों और दूतावासों की व्यवस्था का उपयोग कर इस परेशानी को दूर करने की अधिकतम कोशिश की जाए। इनमें बकायदा ऐसे मामलों से निपटने के लिए ठोस व्यवस्था की जाए। बैठक में मौजूद एक अधिकारी ने बताया कि इस बिंदु पर काफी हद तक सहमति दिखी।

सरकार चलाएगी जागरुकता अभियान

साथ ही महिला और बाल विकास मंत्रालय की ओर से एनआरआई लड़कों से शादी करने के मामलों में पर्याप्त सावधानियां बरतने को लेकर जागरूकता अभियान भी चलाया जाए। ताकि माता पिता किसी तरह की धोखाधड़ी में न फंसे। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अभी एनआरआई पतियों पर शिकंजा कसने के लिए कई तरह के प्रस्ताव को लागू करने के लिए विभिन्न कानूनों में संशोधन करने पर विचार चल रहा है। जैसे भगोड़े एनआरआई पतियों की प्रॉपर्टी जब्त करने की बात चल रही है। बैठक में इस बात पर सहमति थी कि इतने कानूनों में बदलाव के बजाय जागरूकता अभियान पर जोर दिया जाए।

कानून में बदलाव से बढ़ सकती थी पेचीदगी

कानून से बचने के लिए एनआरआई पतियों के समन रिसीव नहीं करने की चाल को नाकाम करने के लिए महिला बाल विकास मंत्रालय के नए प्रस्ताव पर भी विचार किया गया। इसके मुताबिक विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड किए गए समन को आरोपी की ओर से रिसीव मान लिया जाना था। इसमें कहा गया था कि अगर तीन नोटिस अपलोड करने के बाद भी आरोपी कोर्ट के सामने पेश न हो तो उसे भगोड़ा माना जाएगा। इसके लिए सीआरपीसी में बदलाव करने की जरूरत थी। कानून मंत्रालय ने इसे लेकर पेंच डाल दिया था। मंगलवार की बैठक में सभी मंत्रालयों के बीच सहमति बन गई कि इस तरह के कानूनी प्रावधान से समस्या और पेचेदी हो जाएगी और इसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है।


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