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दिल्ली पुलिस ने दर्ज की FIR तो बोलीं ग्रेटा थनबर्ग- ‘कोई धमकी मुझे डिगा नहीं सकती’

locationनई दिल्लीPublished: Feb 04, 2021 05:40:12 pm

Submitted by:

Vivhav Shukla

दिल्ली पुलिस ने ग्रेटा थनबर्ग पर दर्ज किया एफआईआर
एफआईआर होने के बाद थनबर्ग ने दिया जवाब
उन्होंने कहा- वह अब भी किसानों के साथ, शांतिपूर्ण विरोध का किया समर्थन

ग्रेटा थनबर्ग

ग्रेटा थनबर्ग

नई दिल्ली। भारत सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 68 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इस आंदोलन में उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय सेलिब्रिटी का साथ मिला है। इनमें एक नाम जलवायु कार्यकर्ता किशोरी ग्रेटा थनबर्ग का भी है। दरअसल, ग्रेटा ने प्रदर्शनकारी किसानों के प्रति अपना समर्थन जताते हुए ट्वीट किया था। उन्होंने ट्वीट के साथ कुछ ऐसे डाक्यूमेंट भी साझा किए थे, जिसे देखने के बाद लोगों का कहना है कि वह किसान आंदोलन की आड़ में भारत के खिलाफ प्रोपोगेंडा चला रही हैं। अब देश के खिलाफ प्रोपोगेंडा फैलाने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने उन पर FIR दर्ज किया है।

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हालांकि, दिल्ली पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद भी ग्रेटा ने किसान आंदोलन का समर्थन किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘मैं अब भी किसानों के साथ खड़ी हूं और उनके शांतिपूर्वक विरोध का समर्थन करती हूं। नफरत, धमकी या मानवाधिकारों का उल्लंघन इसे बदल नहीं सकता है।’

 

https://twitter.com/hashtag/StandWithFarmers?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw
जानिए पूरा मामला

3 फरवरी को ग्रेटा ने एक ट्वीट किया था। इसमें 26 जनवरी तक के किसान आंदोलन से जुड़े कैंपेनिंग के प्लानिंग का जिक्र था। हालांकि, कुछ देर बाद ही उन्होंने इस पोस्ट को डिलीट कर दिया और अगले दिन यानि 4 फरवरी को दूसरा ट्वीट किया। इसमें उन्होंने रिवाइज्ड प्लान ऑफ एक्शन साझा किया। ये सारे प्लान एक गूगल डॉक्यूमेंट में बताए गए थे। वहीं इन सब पर सरकार का कहना है कि ये भारत के खिलाफ एक सोची समझी साजिश थी।
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https://twitter.com/hashtag/StandWithFarmers?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw
प्रो-खालिस्तान से जुड़ी सामग्री भी मौजूद

बता दें इन सब के अलावा सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन से जुड़े कुछ पावर पॉइंट भी सामने आए हैं। पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन में कनाडा के एनजी ओपोएटिक जस्टिस फाउंडेशन का लोगो लगा हुआ है। इतना ही नहीं फाउंडेशन की वेबसाइट पर किसानों से जुड़े कई प्रोपगैंडा मटेरियल भी मौजूद हैं। साथ ही इनके सोशल मीडिया साइट्स पर प्रो-खालिस्तान से जुड़ी सामग्री मिली है, जिसमें लिखा है भारत सरकार किसानों की जान ले रही है। सरकार किसानों के दमन के लिए 1984 में हुए दंगों जैसा ही इस बार भी कुछ कर सकती है।
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